हम हवास बाख्ता हो गए कुछ भी हो सकता था

अबूधाबी से नई दिल्ली आने वाले 122 मुसाफ़िरों के लिए एयर इंडिया परवाज़ की पाकिस्तानी में इमरजेंसी लैंडिंग इंतिहाई हवास बाख्ता करने वाला तल्ख़ तजुर्बा था । 15 साला मुस्कान शर्मा टोरंटो से दिल्ली बराह अबू धाबी तन्हा सफ़र कर रही थीं । इसने बताया कि हमें जब तैय्यारा में तकनीकी ख़राबी की इत्तिला दी गई तो औसान ख़ता हो गए ( होश खो बैठना) उसे ये फ़िक्र लगी थी कि अब आइन्दा क्या होने वाला है ।

65साला वे राधा कृष्णन ने तमाम मुसाफ़िरैन से कहा कि चलने फिरने से गुरेज़ करें अपने सीट बेल्ट्स् बांध लें और किसी भी सूरत-ए-हाल के लिए तैयार रहें क्योंकि तैय्यारा इमरजेंसी लैंडिंग करने जा रहा है । उन्होंने कहा कि ख़ुशक़िस्मती से ऐसा कुछ नहीं हुआ ।

ये मुसाफ़िरैन सिंध के नवाब शाह एयर पोर्ट पर तक़रीबन 12 घंटे फंसे रहे जहां मुसाफ़िरो को मुश्किलात का सामना करना पड़ा । उन्होंने बताया कि दिल्ली से दूसरे तैय्यारे की आमद में ( ( आने में) ताख़ीर ( देरी) पर मुसाफ़िरैन ग़ुस्सा से बेक़ाबू हो गए थे ।

वज़ारत उमोर ख़ारिजा में स्पेशल सेक्रेटरी अशोक तोमर ने कहा कि पाकिस्तानी हुक्काम का ग़ैरमामूली तआवुन रहा । ईस्लामाबाद में हिंदूस्तानी हाई कमीशन पाकिस्तानी हुक्काम से मुसलसल राब्त रखे हुए था । जब उन से 12 घंटे ताख़ीर ( विलंब/ देरी) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इंजनीयर्स और आलात ( औजार) वहां भेजने के इंतेज़ामात किए जा रहे थे ।

नवाब शाह एयर पोर्ट पर हुक्काम ने मुसाफ़िरो को लाज इस्तेमाल करने की इजाज़त दी और सफ़री उमोर ( यात्रा संबंधी कार्य) की बह आसानी तकमील ( पूर्ती) की ।