नई दिल्ली: खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का मुखिया, हरमिंदर सिंह, जो जेल से भाग निकला था उसे हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया। यह ध्यान देने योग्य बात है कि अगर ऐसी किसी घटना में मुसलमान शामिल होते, तब उन्हें फर्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया जाता है। यह स्पष्ट रूप से पुलिस के दोहरे मापदंड को दर्शाता है।
यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि विखार और उसके साथियों को पुलिस ने वारंगल जेल से हैदराबाद ले जाते हुए एक कथित मुठभेड़ में मार दिया था। हालाँकि मारे गए कैदियों को हथकड़ी लगी हुयी थी लेकिन पुलिस ने कहा कि उन्होंने पुलिस वालों से राइफल छीनी थी। यह एक साफ़ तौर पर बनाई गयी कहानी थी।
इसी तरह भोपाल जेल से कथित तौर पर फरार निहत्थे सिमी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार डाला था।
इस तरह के बेगुनाहों को मारने वाले पुलिसवालों की सोच में बदलाव की ज़रूरत है। हाल ही में, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पुलिस को बिना किसी मज़बूत सबूत के लोगों को गिरफ्तार नहीं करने की सलाह दी थी।