सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एनकाउंटर पर मंगल के रोज़ बडा अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि हर एनकाउंटर की फौरन एफआईआर दर्ज हो और जब तक जांच चले तब तक मुताल्लिक पुलिस आफीसर को प्रमोशन या गैलेंट्री अवार्ड नहीं दिया जाए।
आली अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस के ऐसे सभी मामलों की जांच सीबीआई या सीआईडी जैसी आज़ाद एजेंसी से कराई जानी चाहिए। चीफ जस्टिस आरएम लोढा की सदारत वाली तीन रूकनी बेंच ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की दरखास्त पर मंगल के रोज़ अपने हुक्म में कहा कि फर्जी मुठभेड मामलों की आज़ाद जांच सीबी सीआईडी से कराई जायेगी। जब तक यह साबित नहीं हो जाता है कि मुठभेड सही थी, इसमें शामिल पुलिस अफसरों को कोई प्रमोशन नहीं दिया जाएगा।
मुठभेड के वाकिया पर फौरन एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी मामलों की मजिस्ट्रेटी जांच हो। फैसले में यह भी कहा गया है कि पुलिसवालों को मुजरिमों के बारे में मिली इत्तेला को रिकॉर्ड कराना होगा और हर एनकाउंटर के बाद अपने हथियार और गोलियां जमा करने होंगे।
आली अदालत ने इंसानी हुकूक कमीशन (Human Rights Commission) को भी आगाह किया कि वह सभी मामले में तब तक मुदाखिलत न करे, जब तक मुठभेड के फर्जी होने का खदशा गालिब न हो।
पुलिस मुठभेड के मामले में एफआईआर दर्ज कर इसे फौरन मजिस्ट्रेट को भेजना होगा। अगर मुतास्सिरा फरीक को लगता है कि एनकाउंटर फर्जी था, तो वह सेशन कोर्ट में केस दर्ज करा सकता है। आली अदालत ने पुलिस एनकाउंटर की एक दरखास्त पर सुनवाई करते हुए यह गाइडलाइसं जारी किए।
दरखास्तगुजार सूरत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी मुठभेडों पर गाइडलाइंस जारी की है, जिन्हें सेक्शन 144 के तहत एक कानून माना जाएगा।