नुमाइंदा ख़ुसूसी मंगल हॉट धूल पेट का नाम सुनते ही फ़ोरन ज़हन में गुड़मबा के कारोबार याद आजाता है । इस की एक वजह ये है कि यहां खुले आम 24 घंटे कारोबार होता है । पुलिस के धावे गिरफ्तारियां यहां के लोगों के लिए मामूल की बात है । अगर कोई इस रास्ते से गुज़रे तो सड़क की दोनों जानिब नशा में बदमसत धुत बेशुमार अफ़राद मिलेंगे । ये रोज़ का मामूल है । मंगल हॉट में एक दरगाह शरीफ़ भी है । गुड़मबा का कारोबार करने वाला एक शख़्स ख़ुद को महिकमा आबकारी से बचाने के लिए दरगाह शरीफ़ का इस्तिमाल करता है । इस का मकान दरगाह से मुत्तसिल है । इस ने गै़रक़ानूनी तौर पर एक नाजायज़ रास्ता अपने घर में से दरगाह में निकाल लिया है । ये ओक़ाफ़ी जायदाद है वक़्फ़ बोर्ड की ग़फ़लत और लापरवाही से इस शख़्स को ऐसा करने की हिम्मत हुई । जब कभी आबकारी का धावा होता है वो बड़ी आसानी से दरगाह में पनाह लेता है और आबकारी का अमला सारे घर की तलाशी लेकर ख़ाली हाथ वापिस होजाता है । इस तरह से एक बुज़ुर्ग की क़दीम दरगाह शरीफ़ में ऐसा अमल होरहा है । इस दरगाह शरीफ़ की ज़मीन तक़रीबन 1407 मुरब्बा गज़ थी अब इस में से सिर्फ 300 गज़ बाक़ी रह गई है चारों तरफ़ से रास्ते बंद करदिए गए हैं सिर्फ एक दो फुट का रास्ता छोड़ा गया है जो रोड से काफ़ी अंदर है । एक ग़ैर मुस्लिम ख़ानदान अर्सा से इस की हिफ़ाज़त कररहा है । लेकिन इस ने इन को डरा धमकाकर अपना काम जारी रखा है । इस की तफ़सीलात हासिल करने के लिए वहां पहुंचे तो पता चला कि गड़मबे के पियाकट फ़रोख़त होरहे हैं । जगह जगह लोग शराब पी कर सड़क पर पड़े हैं । हैरत उस वक़्त हुई जब हम ने इन में कुछ ऐसे अफ़राद भी देखे जो महलों दुकानों पर एक हाथ में कशकोल दूसरे हाथ में ऊद दान लिए ऊद का धुआँ देते नज़र आते हैं । दुकानों और मकानों में ये धुआँ उन के अपने ख़्याल में बरकत का बाइस बनता है और लोग बगै़र सोचे समझे उन से मुतास्सिर हो कर उन के कशकोल में 5 या दस रुपय डाल देते हैं । ऐसे अफ़राद जुमेरात और जुमा के दिन ब कसरत से नज़र आते हैं । ये लोग हर किसी की दुकान पर ख़ाह वो मुस्लिम हो या ग़ैर मुस्लिम की हो जाकर कहते हैं फ़ुलां बुज़ुर्ग की मज़ार का ऊद है इस से आप को बरकत होगी ये कहते हुए अंदर दाख़िल होजाते हैं । होसकता है कि इन में कुछ सही भी होंगे लेकिन इन में कुछ ऐसे भी हैं जो मंगल हॉट की सड़कों पर नशा कर के मदहोश पड़े हुए हैं वो भी ऐसी हालत में कि उन्हें ना तो अपने कशकोल की फ़िक्र थी ना ऊद दान की हद तो ये थी कि उन्हें अपने लिबास का भी होश नहीं था । इन में एक साहिब को देख कर तकलीफ़ हुई जिन के सर पर टोपी कांधे पर रूमाल और दाढ़ी भी थी । अक्सर हम ने इन को अच्छी हालत में दवा ख़ानों में धुआँ देते हुए देखा लेकिन आज उन्हें जो नशे में सड़क पर पड़ा हुआ देखा तस्वीर कभी झूट नहीं बोलती । ग़ौर से देखिए कि ये वही लोग हैं जो आप की दुकान पर आकर बरकत का धुआँ देते हैं । आप को ख़ुश कर के आप को अपना गला खोलने पर मजबूर करदेते हैं । लोगों को मेहनत की कमाई में से ख़ैरात सिर्फ़ हक़दार को देनी चाहीए और ऐसे नक़ली फ़क़ीरों से चौकन्ना रहना चाहीए अहम बात ये है कि मांगने वाले के चेहरे को ग़ौर से देखिए कि वो निशा के लिए मांग रहा है या ग़रीबी ने उसे हाथ फैलाने पर मजबूर किया है ।।