नई दिल्ली : मतदान के बाद एग्जिट पोल का इंतज़ार सबको रहता है। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान खत्म होते ही एग्जिट पोल शुरू हो गया. लेकिन इस बार का एग्जिट पोल हाईटेक है. भारत जैसे विविधता वाले देश में जनता का मूड समझना आसान नहीं लेकिन तकनीक अब इसमें मदद कर रही है. अलग अलग सेफोलॉजी कंपनियां सबसे सटीक अनुमान का दावा करती हैं। पहले सर्वे के पारंपरिक तरीके अपनाए जाते थे लेकिन अब इनका तौर-तरीका बदल गया है। सर्वे करने वालों के हाथ में फॉर्म की जगह टैब आ गए हैं। लेकिन सिर्फ सैंपल कलेक्शन से जनता का मूड नहीं भांप सकते। इसलिए ऐतिहासिक वोटिंग डाटा, पब्लिक ओपिनियन पोल और सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण के आधार पर अनुमान लगाया जाता है।
फील्ड वर्कर सैंपल लेने पहुंचा या नहीं, इसके लिए जीपीएस का इस्तेमाल हो रहा है। कई सेफोलॉजी कंपनियां आर्टीफिशियल इंटेलिजेस यानी एआई और बिग डाटा का इस्तेमाल कर रही हैं। सॉफ्टवेयर में वोटिंग पैटर्न, वोटों का प्रतिशत, डेमोग्राफी जैसी जानकारियां फीड की जाती हैं और फिर सिस्टम खुद एक अनुमान बता देता है।
देखिए ये रिपोर्ट :
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सेफोलॉजी में आर्टीफिशियल इंटेलिजेस के इस्तेमाल का एक फायदा यह है कि ये राजनैतिक रूप से निष्पक्ष है। Aspire Ventures तमिलनाडु में तो Anthro.ai उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से आर्टीफिशियल इंटेलिजेस आधारित चुनावी विष्लेषण कर रही है। हालांकि पिछले कई चुनावों में एग्जिट पोल के नतीजे उतने सटीक साबित नहीं हुए हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार आर्टीफिशियल इंटेलिजेस के इस्तेमाल का कितना असर दिखता है।