तारा शाहदेव मामले में बुरी तरह फंसे रियासत के वज़ीर हाजी हुसैन अंसारी व सुरेश पासवान को हटाने का दबाव बढ़ गया है। भाजपा के साथ साथ हुकूमत में शामिल इत्तिहादी दलों ने भी इस्तीफे का दबाव बढ़ा दिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस के कई लीडरों ने भी इन वज़ीरों को इस्तीफा देने का सुझाव दिया है। दोनों वज़ीरों से इस्तीफा लेने की सलाह सीएम को दी है।
ओपोजीशन तो शुरू से ही दोनों वज़ीरों को बर्खास्त करने की मांग कर रहा था, लेकिन साव को वज़ीर ओहदे से हटाने के बाद हुकूमत में शामिल कांग्रेस और दीगर इत्तिहादी दल भी अब खुल कर सवाल उठाने लगे हैं। भाजपा का कहना है कि यह सीधे सीधे झारखंड की इज्ज़त का सवाल है। जबकि इत्तिहादी दल राजद ने मुल्ज़िम वज़ीरों का बचाव किया है।
रियासती कांग्रेस सदर सुखदेव भगत ने कहा कि इस मामले में मुतल्लिक़ वज़ीरों को खुद से फैसला लेना चाहिए। अवामी ज़िंदगी में लोगों को साफ सुथरे का भी ख्याल रखना चाहिए। कांग्रेस की तरफ से इस्तीफा मांगे जाने के सवाल पर भगत ने कहा कि उनकी पार्टी इसके लिए सीधे तौर पर वजीरे आला पर दबाव नहीं डालना चाहती। कुल मिलाकर यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है।
दोनों वज़ीरों को इस्तीफा देना चाहिए : माधवलाल
कांग्रेस एमएलए माधवलाल सिंह ने कहा कि हाजी हुसैन अंसारी और सुरेश पासवान पर संगीन इल्ज़ाम लगे हैं। उन्हें योगेंद्र साव की तरह इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि योगेंद्र साव ने इल्ज़ाम लगने के बाद वज़ीर ओहदे से खुद छोड़ दिया था।
प्रदेश कांग्रेस के साबिक़ सदर एमपी प्रदीप कुमार बलमुचू ने कहा कि जिस तरह से योगेंद्र साव ने इस्तीफा दे दिया, उसी तरह अगर दीगर वज़ीर भी संगीन इल्ज़ामात के घेरे में आए हैं, तो उन्हें योगेंद्र का की तरफ ही इस्तीफा देना चाहिए। मुतल्लिक़ पार्टी को भी इस सिम्त में जरूरी कोशिश करना चाहिए।
इस्तीफा देने की जरूरत नहीं : बंधु
हुकूमत को हिमायत दे रहे टीएमसी एमएलए बंधु तिर्की ने कहा कि दोनों पर सिर्फ इल्ज़ाम लगे हैं। इसलिए इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं है। वज़ीर बनने के बाद कई क़िस्म के लोग आते हैं। अब उनके चेहरे पर नहीं लिखा होता है कि वह कौन और कैसा है।