इस्लामी दरसगाह दार-उल-उलूम देवबंद ने एक फ़तवा में कहा है कि हालत नशा में फ़ोन पर दी जाने वाली तलाक़ भी तलाक़ वाक़्य हो जाती है । ये फ़तवा दारुल आफ्ता ने 13 मार्च को एक सवाल के जवाब में जारी किया जो एक शख़्स ने पेश करते हुए दरयाफ़त किया था कि आया ख़ुमार की हालत में दी गई तलाक़ काबिल-ए-क़बूल समझी जाएगी और अगर हाँ तो ऐसे हालत में क्या कर सकते हैं।
इस शख़्स ने बताया कि हाल में इसके बरादर-ए-निसबती (बहनोई ) ने नशा करने के बाद उसकी बहन को मोबाईल फ़ोन पर ये कह दिया कि मैं तुझे तलाक़ देता हूँ , तुझे तलाक़ देता हूँ , तीन बार तलाक़ तलाक़ तलाक़ । सवाल कनुंदा ने मज़ीद बताया कि अब इसका बहनोई अपने अमल पर नादिम है और अपनी बीवी को रुजू करना चाहता है ।
क्या आप बराह-ए-करम सबसे पहले शरीयत की रोशनी में तफ़सीली वज़ाहत करेंगे कि आया ये जुमले तलाक़ समझे जाएंगे और दूसरा सवाल ये कि अगर जवाब हाँ में है तो हमारी आगे के लिए रहनुमाई कीजिए कि इन हालात में आगे क्या किया जाए। दारुल आफ्ता ने अपने जवाब में कहा कि किसी ख़ातून को तलाक़ तीन बार कह देने की सूरत में वो अपने शौहर के लिए हराम हो जाती है ।
फ़तवा में कहा गया कि अब वो ख़ातून आप के बहनोई से काबिल-ए-क़बूल हलाला के बगैर शादी नहीं कर सकती की उनका तलाक़ मोबाईल के ज़रीया वाक़्य हो जाती है और हालत नशा में भी तलाक़ नाफ़िज़ हो जाती है । फ़तवा में ये भी कहा गया कि इद्दत की तकमील के बाद मुतल्लक़ा ख़ातून की कहीं और शादी की जानी चाहीए । ऐसी सूरत में इस ख़ातून का आप के साबिक़ा बहनोई के साथ निकाह किसी भी सूरत में ग़ेरशरई है । हाँ ! अगर दूसरा शौहर फ़ौत हो जाए या वो तुम्हारी बहन को अज़दवाजी ताल्लुक़ात के बाद तलाक़ दे दे तब इद्दत की तकमील के बाद वो अपने पहले शौहर से दुबारा शादी कर सकती है ।