तृणमूल कांग्रेस की सदर ममता बनर्जी के इशारा पर वज़ीर(मंत्री ) रेलवे के ओहदा से ग़ैर रिवायती तौर पर अलहदा किए जाने वाले पार्टी के रुकन पार्लीमैंट दिनेश त्रिवेदी ने आज कहा कि हिंदूस्तान में बेशतर(जियादा से जियादा) सियासी पार्टीयां खास तौर पर इलाक़ाई पार्टीयां सामराजी बन चुकी हैं, जहां फ़ैसले क़ाइदीन मनमाने तौर पर करते हैं।
वो पारलीमानी वफ़द के एक रुकन की हैसियत से अमरीका के दौरा पर हैं। उन्हों ने कहा कि आहिस्ता आहिस्ता गुज़शता चंद साल से एक बहुत ख़तरनाक रुजहान बेशतर(जियादा से जियादा) सयासी पार्टीयों में पैदा होगया है। वो सामराजी बन गई हैं। कोई दाख़िली जमहूरीयत का वजूद नहीं है।
मसाइल पर मुबाहिस नहीं होते और ना तबादला-ए-ख़्याल किया जाता है। पार्टी के सदर जो कुछ करते हैं उसी की तकमील की जाती है। उन्हों ने कहा कि वो किसी एक सयासी पार्टी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि उमूमी एतबार(आम तौर) से तबसरा कर रहे हैं।
ऐसी सूरत-ए-हाल में उन्हों ने कहा कि पार्टी अरकान ख़ौफ़ज़दा हैं कि अगर वो पार्टी क़ाइद के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुछ भी कहें तो उन्हें अगली मर्तबा इंतिख़ाबात (चुनाव)के लिए पार्टी का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। उन्हों ने कहा कि मेरे कैरीयर के इख़तेताम पर उन के लिए मुल्क अव्वलीन(पहली) तर्जीह (प्राथमिकता) था
उसे उन के ख़ानदान बल्कि उन की पार्टी पर भी तर्जीह (प्राथमिकता) हासिल थी, जिन का मुक़ाम मुल्क के बाद ही था। उन्हों ने वाज़ेह कर दिया कि वो शख़्सी हैसियत से तबसरा कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के तर्जुमान की हैसियत से नहीं।