नई दिल्ली 28 फ़रवरी : हिंदूस्तान में बिजली के शोबा(विभाग) में किए गए एक सर्वे से ये जाहिर हुआ है कि इतने बड़े मुल्क को भी 2007 ता 2012ए बिजली की बहुत क़िल्लत का सामना करना पड़ा जबकि 50,000 मैगावाट ज्यादा बिजले भी पैदा की गई थी ।
सर्वे के मुताबिक़ ग्यारहवीं पनचसाला मंसूबा के दौरान 55,000 मैगावाट ज़ाइद बिजली भी पैदा की गई थी लेकिन इसके बावजूद इन पाँच सालों के दौरान बिजली की क़िल्लत का तनासुब 9 फ़ीसद नोट किया गया । याद रहे कि बिजली के इस्तिमाल में जब इज़ाफ़ा होजाता है तो उसकी पैदावार के बावजूद इसमें क़िल्लत का सामना करना पड़ता है ।
सर्वे में ये भी कहा गया है कि बिजली की पैदावार में जिन मुश्किलात को खत्म किया गया है वो तवानाई की तलब और उसकी दस्तयाबी के दरमयान पाए जाने वाले ख़ला को परा करने में नाकाम हैं । दूसरी वजह ये है कि मुल्क कच्चे तेल के मुआमले में बैरूनी ममालिक पर बहुत ज़्यादा इन्हिसार (निर्भर) करता है जिस से पैदावार का मुक़र्ररा निशाना हासिल नहीं होता और अगर होता भी है तो सारिफ़ीन के इस्तिमाल में इस क़दर इज़ाफ़ा होजाता है कि बिजली की क़िल्लत पैदा होजाती है ।
मार्च 2011-ए-तक मुल्क में कोयले का स्टाक 286 बिलीयन टन बताया गया जबकि लगनाईट का स्टाक 81 बिलीयन कच्चे तेल 57 मिलयन टन और क़ुदरती गैस का ज़ख़ीरा 1241मिलयन क्यूबिक मीटर बताया गया । याद रहे कि मुल्क के कुछ शहर ऐसे हैं जहां बिजली की क़िल्लत हमेशा रहती है और वहां दीगर रियास्तों से बिजली हासिल करना पड़ती है ।
इस मुआमले में ज़रूरत इस बात की है कि सारिफ़ीन को बिजली का इस्तिमाल सिर्फ़ उस वक़्त करना चाहिए जब उन्हें उसकी शदीद ज़रूरत है । अक्सर देखने में आता है कि लोगों के बड़े बड़े मकानात में बिलावजह भी लाइट्स और पंखे चलते रहते हैं । शदीद गर्म मौसम में भी गीज़र का इस्तिमाल करते हुए गर्म पानी से नहाने का रिवाज है ।
अगर सारिफ़ीन ख़ुद छोटी छोटी जरूरतों को तर्क करदें तो बिजली की क़िल्लत कभी पैदा नहीं होगी । इस तरह महिकमा बिजली का भी ये फ़र्ज़ है कि वो दिन में भी जलने वाली स्टरीट लाइट्स की ख़ुसूसी तौर पर जांच करें और ख़ातियों को इंतिबाह दिया जाये ।