संघ के मुख्य पत्र ‘पांचजन्य’ ने डॉ. बीआर अंबेडकर को केवल दलित नेता के तौर पर पेश किए जाने की प्रवृत्ति पर प्रहार किया है। अंबेडकर एक राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने सोच समझकर खुद को पश्चिमी विचारों, संगठनों और प्रभावों से दूर रखा। अंबेडकर ने कहा था कि हिंदू अपने समाज में फैली बुराई को खत्म करने के लिए काम करते हैं, जबकि मुस्लिम ऐसा नहीं करते। लेख में अंबेडकर को कोट करते हुए कहा गया है, ‘अंबेडकर ने साफ कहा है कि हिंदू धर्म में बुराइयां हैं। हालांकि हिंदुओं में सबसे अच्छी बात यह है कि समाज के कुछ लोगों को अपनी कमजोरी के बारे में पता है और वे बुराइयों को खत्म करने के लिए पहले से सक्रिय हो जाते हैं। दूसरी ओर मुसलमानों को नहीं पता कि उनमें भी बुराई व्याप्त है और इसीलिए वे इसे खत्म करने का प्रयास नहीं करते।’
पत्र के अनुसार लेख में अंबेडकर के कामों को याद करते हुए लिखा गया है कि जब अमेरिकी लेखक कैथरीन मायो ने एक किताब में लिखा कि हिंदू धर्म जातिगत भेदभाव से भरा है, जबकि इस्लाम में भाईचारे की इजाजत है तो अंबेडकर ने इसका खंडन किया। उन्होंने लेखक को चुनौती देते हुए कहा था कि इस्लाम भी गुलामी और दासता से मुक्त नहीं है।