उम्मत मुसलमा जिस हाल और दाखली और खारज़ी परेशानियों का शिकार है वो इंतेहाई सबर आज़मा है। ऐसे में तकफ़्फुर और हिकमत अमली के साथ तशव्वुर तवाफ़िक़ और आपसी राब्ते की मजबूती नेज एतमाद के माहौल की सख्त ज़रूरत होती है जिससे आवाज में कूवत और वज़न व वकार पैदा होता है ये चीजें न हों तो फिर इंतेशार और बद एतमादी की कैफियत पैदा हो जाती है और इस कैफियत में किसी तहरीक या किसी मजबूत को कामयाबी की मंज़िल तक पहुंचना तकरीबन नामुमकिन सा हो जाता है इन खयालात का इज़हार दारुल क़ज़ा इमारते शरिया, रांची के क़ाज़ी शरीयत मुफ़्ती मोहम्मद अनवारुल कासमी ने लेक रोड रांची में वाकेय राइन उर्दू गर्ल्स हाइ स्कूल में इमारते शरिया के जेरे एहतेमाम मौजूदा हालात में ओलमा और आवाम के जिम्मेदारियाँ के उनवान पर मुनक्कीद अहम इजलास में प्रोग्राम के इफ़्तिताह और कालीदि खुतबा में किया।
उन्होने कहा की जज्बाती के बजाय समझदारी वक़्त की ज़रूरत है और ये के ओलमा हों या आवाम हर एक को अपनी अपनी जिम्मेदारियों के ताईन बेदार होने और रहने की ज़रूरत है इसी मक़सद के तहत आज का इजलास मुनक्कीद हुआ है, मौलाना सदीक अहमद मुजाहिरी इमाम व खातीब जमा मस्जिद के सदारत में मुनक्कीद इस इजलास का आगाज मौलाना सनाउल्लाह साहब मुजाहिरी इमाम व खातीब जमा मस्जिद कड़रु रांची के तिलावत कलाम पाक से इजलास का खिताब करते हुये मौलाना डॉक्टर ओबेदुल्लाह कासमी ने कहा की हर आदमी को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास होना चाहिए तमाम मसलिकी एख्तेलाफ़ात से ऊपर उठ कर एक नये हौसला के साथ अगर यहाँ से उठेंगे तो जो काम सदियों में नहीं हो हुआ वो साल में हो सकता है।
मुफ़्ती मोहम्मद सुलेमान कासमी ने कहा की एहसास ज़िम्मेदारी के बेगैर समाज और मूआशरे की तरक़्क़ी की राह पर नहीं जा सकता मौलाना तल्हा नदवी खतीब मस्जिदे बिलाल ने मीडिया के ऊपर ज़ोर देते हुये कहा की मीडिया मुसलमानों को परेशान कुन मामलात को बहुत ज़्यादा उछालती है उन्होने कहा की लव जिहाद तो सिरे से इस्लामी तालिमात के खिलाफ है साथ ही उन्होने जिम्मेदाराना जहद मुसलसल की दावत दी, दारुल क़ज़ा इमारते शरीया, धनबाद के क़ाज़ी शरीयत मुफ़्ती मोहम्मद शहीद कासमी ने कहा की अपनी परेशानियों की हल के लिए दूसरों की खुशामद के बजाय अपनी कियादत उभारने की ज़रूरत है।
उन्होने कहा की हर काम आसानी के साथ हो सकता है सिर्फ अलग-अलग जमात बना कर रोना रो कर हल तलाश न किया जाये, मौलाना तौफीक अहमद कादरी इमाम व खतीब डोरन्दा मस्जिद ने कहा की हालात आते रहते है ऐसे में इज़्तेमाईयत की अहमियत और बढ़ जाती है। अंजुमन इसलामिया, रांची के सदर इबरार अहमद साहब ने मुसलमानों के सफ़ों में इत्तिहाद और इज़्तेमाईयत पर ज़ोर देते हुये इस में ओलमा की अहमियत और खिदमात को उजागर किया साथ ही उन्होने मुसलमानों की लिए उर्दू के साथ दूसरी ज़ुबानों के अखबार की जरूरत को भी वाजेह किया।
इजलास के खिताब करते हुये तकरीबन तमाम मुक़र्ररीन ने मुसलमानों की ताईन हिन्दी अखबारात और बाज़ टीवी चैनलों के शरारत अंगेज़ और जानिबदराना रवैये पर सख्त गम और गुस्सा का इज़हार किया सदर इजलास की दुआ पर इजलास अपने एख्तेताम को पहुंचा। इजलास को कामयाब बनाने मौलाना मंजूर आलम कासमी, हाफ़िज़ शमसुद्दीन अहमद, मौलाना कफीलउद्दीन कासमी और राइन मुहल्ला के जिम्मेदारों और नौजवानों ने भरपूर हौसला लिया।