सिर्फ़ इज़्ज़त नफ्स और एहसास की ज़रूरत , वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी का रेडियो पर क़ौम से ख़िताब
ज़्यादा से ज़्यादा अवाम तक रसाई हासिल करने के मक़सद से वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी आज अब्ना-ए-वतन से पहली बार रेडियो पर ख़िताब और मुल्क की ख़ुशहाली और बेहतरी के लिए उनकी महारतों को इस्तेमाल करने की बात करेंगे। वज़ीर-ए-आज़म खादी की मसनूआत इस्तेमाल करने की वकालत करेंगे ताकि महात्मा गांधी को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया जाये और अवाम पर ये तास्सुर मुरत्तिब किया जाये कि हम ज़्यादा इज़्ज़त नफ्स रखते हैं।
रेडियो पर नशरिया को बाक़ायदा प्रोग्राम बना देने का तैक़ून देते हुए नरेंद्र मोदी ने अवाम से तजावीज़ और मश्वरे तलब किए हैं और कहा कि उन्हें इस ऐलान के बाद कई तजावीज़ वसूल होचुकी हैं और उन से ख़ाहिश की गई है कि वो रेडियो पर क़ौम से ख़िताब करते रहें। अपने पंद्रह मिनट तवील ख़िताब में उन्होंने ख़ाहिश की कि अवाम अपनी सलाहीयतों को पहचानें और उनका इस्तेमाल करें।
उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि हमारे साईंसदानों ने अक़ल्ल तरीन अख़राजात के साथ मिर्रीख़ की मुहिम का कामयाब एहतेमाम किया है। हमारी सलाहीयतों में कोई कमी नहीं है। हम सिर्फ़ अपनी ताक़त भूल गए हैं। हम भूल गए हैं कि हमारे भाई और बहन हर कारनामा अंजाम दे सकते हैं।
हमें अपनी दाख़िली ताक़त का एहसास करना चाहिए। वज़ीर-ए-आज़म ने स्वामी विवेकानंद की एक मुख़्तसर सी कहानी सुनाई जिस में एक भीड़ अपनी ताक़त का एहसास करने के बाद बब्बर से दोस्ती करलेती है। उन्होंने कहा कि अगर हम इज़्ज़त नफ्स के साथ और दुरुस्त शनाख़्त के ज़रिए पेशरफ़त करें तो फ़ातह बन कर उभर सकते हैं।
उन्हों ने महात्मा गांधी का हवाला भी दिया जिन की यौम-ए-पैदाइश तक़रीब कल मनाई गई और अवाम पर ये तास्सुर छोड़ने की कोशिश की कि खादी की मसनूआत और घरेलू मसनूआत इस्तेमाल करें ताकि महात्मा गांधी को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया जाये। अलावा अज़ीं घरेलू दस्तकारी के ज़रीया तैय्यार करदा मसनूआत इस्तेमाल करने से ग़रीबों को फ़ायदा भी पहूंचेगा। मन की बात प्रोग्राम में वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि 125 करोड़ हिन्दुस्तानी बेइंतिहा ताक़त और महारत रखते हैं।
हमें सिर्फ़ अपनी ताक़त समझने की ज़रूरत है। उन्हों ने कहा कि उन्हें ई मेल के ज़रिए तजावीज़ और मश्वरे हासिल होरहे हैं। उन्हों ने कहा कि क़ाबिलीयत रखने वाले बच्चे उन्हें तहरीक दे रहे हैं। उन्हों ने कहा कि मज़ीद कचरा कुंडियों, पॉलीथिन पर इमतिना और छोटे पैमाना की सनअतों के रजिस्ट्रेशन की सख़्त ज़रूरत है।