नई दिल्ली: क़ाज़ाक़्स्तान की जानिब से कुशागुण तेल कुँवें में हिस्सादारी खरीदने के लिए हिन्दुस्तान की पाँच बिलियन अमरीकी डॉलर की मामलत को रोके जाने के लग भग दो साल बाद ओ एन जी सी विदेश लिमिटेड ने कहा है कि औसत जसामत वाले मुतबादिल अबाई तेल ब्लॉक की पेशकश माक़ूल मालूम नहीं होती है।
ये ब्लॉक कासपयाई बहीरा में वाक़्य है। क़ाज़ाक़्स्तान ने गुज़िश्ता साल अप्रैल में अबाई में ओ वी एल को हिस्सेदारी की पेशकश की थी जो क़ब्ल अज़ीं नार्वे की कंपनी Statoil चलाया करती थी।
ओ वे एल दरअसल ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन ( ओ एन जी सी ) का समुंद्र पार काम करने वाला सरकारी इदारा है जो तेल के कुँवें को दरयाफ़त करता है। इस इदारे ने क़ाज़ाक़्स्तान की पेशकश का एक साल तक तमाम पहलोओ से जायज़ा लेने के बाद ये नतीजा अख़ज़ किया कि उसे क़बूल करना फ़ायदेमंद नहीं।
निहायत मोतबर ज़राए के मुताबिक़ ओ वी एल को अबाई ब्लॉक में 25 फ़ीसद हिस्से की पेशकश की थी जिस केलिए हुकूमत क़ाज़ाक़्स्तान ने 2.8 बिलियन बयारल ज़ख़ाइर तेल का तख़मीना लगाया है। हिन्दुस्तानी कंपनी का मानना है कि ये ज़ख़ाइर इस क़दर ज़्यादा नहीं हो सकते। चुनांचे कंपनी ने बाक़ायदा तौर पर उसे मुस्तरद करते हुए क़ाज़ाक़्स्तान हुकूमत को अपने फैसले से वाक़िफ़ करा दिया है।