नई दिल्ली,, 02 जनवरी: मरकज़ी हुकूमत फिलहाल आबरू रेज़ी के खिलाफ पेश नए कानून को गैंगरेप की शिकार लड़की के नाम पर रखे जाने के पहलू में नहीं है। हुकूमत ने आज इंकेशाफ कर दिया कि नए कानून का नाम लड़की के नाम पर रखना मुमकिन नहीं है। उसकी दलील है कि ताजीराते हिंद (आईपीसी) समेत किसी भी आईनी या कानूनी शराइत के तहत किसी नए कानून को कीसी खास शख्स का नाम नहीं दिया जा सकता। साथ ही इसकी कोई रीवायत भी नहीं है।
मरकज़ी वज़ीर शशि थरूर के बयान से शुरू हुई बहस और लड़की के घर वाले की राय के बावजूद मरकज़ फिलहाल ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। गौरतलब है कि थरूर ने लड़की की पहचान को सामने लाने और नए कानून को उसका नाम देने की वकालत की थी।
थरूर के बयान पर पूरे मुल्क में हो रही बहस के बीच लड़की के घर वालोने भी इस पर रज़ामंदी जताई है। हालांकि हुकूमत के साथ ही कांग्रेस भी इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाह रही है।
वज़ारत दाखिला के सीनीयर आफीसर ने कहा कि बात सिर्फ लड़की की पहचान उजागर होने की नहीं है। उसके खानदान वालों की भी पहचान जाहिर नहीं होनी चाहिए। घर वालों की रज़ामंदी पर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस तर्जुमान मनीष तिवारी ने कहा कि हुकूमत को नाम देने के बहस में नहीं पड़ना चाहिए। अभी जरूरी है कि बलात्कार के खिलाफ कानून को सख्त बनाया जाए, जिससे ऐसे कुकर्म करने वाले दरिंदों को जल्द से जल्द सजा मिल सके।
उधर, महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ की दलील है कि लड़की के नाम पर कानून बनने की बात पर गौर किया जा सकता है लेकिन हुकूमत एक बार ऐसा कर देती है तो यह रीवायत बन जाएगी। फिर किसी दूसरे जुर्म के लिए भी कानून के नाम देने की बात उठेगी। तीरथ के मुताबिक ऐसी रीवायत बनाना दुरूस्त नहीं ।