हुज़ूर अकरम स.व. की मुहब्बत के बगैर मुस्लमान नहीं होसकता

हुज़ूर अकरम स.व. की मुहब्बत के बगैर इमान मुकम्मील नहीं होता । हुज़ूर की मुहब्बत जज़बा इमान है जिस के दिल में हुज़ूर की मुहब्बत नहीं वो दौलतमंद होसकता है लेकिन पक्का मोमिन-ओ-मुस्लमान नहीं होसकता , हुज़ूर अकरम स.व. का इरशाद मुबारक है कि में इस के नज़दीक इस के अहल-ओ-अयाल और जान से ज़्यादा अज़ीज़ ना होजाउं तब तक के वो साहिब ए इमान नहीं होसकता । इमान का ताल्लुक़ अमल से नहीं बल्कि जुबान से इक़रार करने और दिल से मानने का नाम इमान है । इन ख़्यालात का इज़हार क़ारी दस्तगीर ख़ां कादरी ने जलसा मीलाद उन्नबी स.व. याकूतपूरा रेलवे स्टेशन में मौलाना अबदुल्लाह कुरैशी अज़हरी ख़तीब मक्का मस्जिद की ज़ेर निगरानी जलसा से किया ।

उन्हों ने कहा कि सब से पहले निकाह हुज़ूर अकरम स.व. ने हज़रत ख़दीजा र.ज. से किया जब कि आप स.व.की उम्र शरीफ 25 साल थी । हज़रत ख़दीजा की उम्र शरीफ 40 साल थी । क्या हम को एसी सुन्न्तों पर नज़र डालना नहीं चाहीए । उन्हों ने कहा कि हज़रत जाबिर के वालिद ने रात के इबतेदाई हिस्से में एक लड़की के वालदैन से निकाह का रिश्ता तय कर दिया और उस वक़्त हज़रत जाबिर, हुज़ूर अकरम स.व. के पास तशरीफ़ फ़र्मा थे , हज़रत जाबिर आधी रात के गुज़रने के बाद जब अपने घर पहुंचे तो उन के वालिद ने इन का निकाह कर दिया और जब सुबह नमूदार हुई और बाद नमाज़-ए-फ़ज्र सरकार दो आलम स.व. ने हज़रत जाबीर के चेहरे को देखा और पूछा कि जाबिर क्या तुम्हारा निकाह होगया तो हज़रत जाबिर ने कहा हाँ या रसूलुल्लाह‌ मेरे वालिद ने मेरा निकाह कर दिया । इस पर हुज़ूर अकरम स.व. ने ख़ुशनुदी का इज़हार फ़रमाया और कहा कि अल्लाह के रसूल स.व. ने निकाह को किस क़दर आसान कर दिया ।

ये है हमारे नबी की सुन्नत । इस मौक़ा पर मौलाना सैय‌द शाह हबीब मुज्तबा ने दुआ फ़रमाई और आलम ए इस्लाम के मुस्लमानों की हिफ़ाज़त और सरबुलन्दी की दुआ की । इस जलसा से आख़िर में मौलाना सैय‌द शाह अबदुर्रहमान हुस्न कादरी , मौलाना ग़ियास पाशाह कादरी ने भी मुख़ातब किया । जनाब अल्हाज अली उद्दीन अहमद , जनाब मुहम्मद ख़्वाजा सिराज उद्दीन , जनाब अल्हाज हबीब अतहर वारिस अरकान मीलाद कमेटी याकूतपूरा ने जलसा के इनइक़ाद के लिए मुनज़्ज़म और बाक़ायदा इंतिज़ाम किया । जलसा सेक्रेटरी इस्तिक़बालीया के शुक्रिया पर इख़तेताम हुआ ।