जहद कारों को धमकियां , आर टी आई के तहत फीस अदाएगी के बावजूद इत्तेलाआत की अदम फ़राहमी
तर्ज़ हुक्मरानी को साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ बनाने के अलावा मुलाज़िमीन में जवाब देही का एहसास पैदा करने केलिए हुकूमत ने क़ानून हक़ आगही 2005 रोशनास करवाया लेकिन इस क़ानून में मौजूद गुंजाइश का मुलाज़मीन-ओ-ओहदेदारों की जानिब से इस्तिहसाल किए जाने की मुतअद्दिद शिकायात के साथ साथ क़ानून हक़ आगही का इस्तेमाल करते हुए हक़ायक़ से अवाम को वाक़िफ़ करवाने वाले जहद कारों को धमकियों की शिकायात भी मंज़र-ए-आम पर आई हैं लेकिन हैदराबाद मेट्रो पोलीटन वाटर स्पलाई एंड सीवरेज बोर्ड ने क़ानून हक़ आगही के तहत दाख़िल करदा एक दरख़ास्त का जवाब देते हुए दरख़ास्त गुज़ार को 32,470 रुपये दरकार मालूमात की फ़राहमी केलिए अदा करने की ख़ाहिश की है।
मुहम्मद अब्दुलअकरम नामी नौजवान ने मुबय्यना तौर पर 13 नवंबर को एक दरख़ास्त दाख़िल करते हुए 2009 ता 2014 के दरमियान शहर में बोरवेलस की मंज़ूरी और खुदाई के कामों के मौक़िफ़ के मुताल्लिक़ तफ़सीलात तल्ब की थी । इन पाँच बरसों के दौरान मनज़ोरा कामों के मौक़िफ़ के साथ साथ एम ए अकरम ने मुबय्यना तौर पर मुग़ल पूरा वार्ड में ख़िदमात अंजाम देने वाले ओहदेदारों-ओ-मुलाज़िमीन की तफ़सीलात और मीर आलिम डिवीज़न में मौजूद मेनहोल के ढक्कनों की तब्दीली पर किए गए अख़राजात की तफ़सील तल्ब की थी।
इन तफ़सीलात की फ़राहमी के बजाय मिस्टर एस वी रमना राव जनरल मनेजर , इंजीनिरिंग शोबा मीर आलिम डीविज़न ने आर टी आई के तहत दाख़िल करदा दरख़ास्त का जवाब देते हुए बतौर फीस 32,470 रुपये अदा करने की हिदायत दी। और लिखा गया कि इस रक़म की अदाएगी के बाद अंदरून 8 यौम मज़कूरा तफ़सीलात फ़राहम की जाएंगी।
महिकमा आब्रसानी की जानिब से रवाना करदा मकतूब में पाँच मदात के तहत फीस की वसूली की तफ़सीलात फ़राहम की गई हैं जिस में एक टिकनीकल ऑफीसर की 8 यौम की तनख़्वाह तकरीबन 17,240 रुपये की अदाएगी के अलावा शोबा इंजीनिरिंग के एक मैनेजर की 3 यौम की तनख़्वाह 4,434 रुपये के अलावा एक अटेंडर की तनख़्वाह यौमिया 959 रुपये 8 यौम के एतबार से 7672 रुपये और डाटा प्रोसेसिंग ऑफीसर की 8 यौम की तनख़्वाह 3064 रुपये के अलावा 30 सफ़हात पर मुश्तमिल डाटा केलिए फ़ी सफ़ा 2 रुपये के एतबार से 60 रुपये जुमला 32,470 रुपये अदा करने की हिदायत दी गई है।
माहिरीन के बमूजब दरयाफ़त करदा मालूमात की फ़राहमी केलिए जुमला ख़र्चा 60 रुपये ही होना चाहिए चूँकि जो तफ़सीलात तल्ब की गई हैं वो 2009 से तल्ब करदा हैं। इस एतबार से तमाम मालूमात आन लाइन य उनका डेटा मौजूद होना कोई बड़ी बात नहीं है। इसी लिए मालूमात की फ़राहमी में महिकमा आब्रसानी को ताम्मुल नहीं बरतना चाहिए।
बताया जाता है कि दरख़ास्त गुज़ार ने जो मालूमात इकट्ठा करने केलिए दरख़ास्त दाख़िल की है , इस के अफ़शा-ए-की सूरत में महिकमा आब्रसानी का बहुत बड़ा अस्क़ाम मंज़र-ए-आम पर आ सकता है , इसी लिए महिकमा आब्रसानी के ओहदेदार मज़कूरा दरख़ास्त पर कार्रवाई करते हुए क़ानून हक़ आगही 2005 के तहत जवाब देने के बजाय उसे शराइत आइद कररहे हैं जिस से दरख़ास्त गुज़ार पर बोझ आइद हो और वो मज़ीद मालूमात के हुसूल की कोशिश ही ना करे। महिकमा आब्रसानी की जानिब से रवाना किए गए जवाबी मकतूब में क़ानून हक़ आगही की दफ़ा 7 की शक़ 3 का हवाला देते हुए 32,470/- रुपये जमा करवाने की हिदायत दी गई है।