हज़रत अनस रज़ी. कहते हैं कि मैंने रसूल करीम स.व. को ये फ़रमाते (केह्ते) हुए सुना कि बिलाशुबा(हकीकत में) क़ियामत की अलामतों में से ये है कि इलम (वीधा) उठा लिया जाएगा (यानी हक़ीक़ी आलीम इस दुनिया से उठ जाऐंगे या ये कि उलेमा की क़दर-ओ-मंजिलत उठ जाएगी) जहालत (अस्भयता) की जीयादती (बढोतरी) हो जाएगी (यानी हर तरफ़ जाहिल-ओ-नादान( ही नज़र आने लगेंगे। जो अगरचे इलम-ओ-दानिश(वीधा ओर अकलमंदी) का दावा करेंगे, मगर हक़ीक़त में इलम-ओ-दानिश से कोसों दूर होंगे) जीना (बालात्कार)कसरत से होने लगेगा, शराब बहुत पी जाएगी, मर्दों की तादाद कम हो जाएगी, औरतों की तादाद बढ़ जाएगी यहां तक कि पच्चास औरतों की ख़बरगीरी(पालन पोषन) करने वाला एक मर्द होगा (इस से मुराद ये नहीं है कि एक एक मर्द की पच्चास पच्चास बीवीयां होंगी, बल्कि ये मुराद है कि एक एक मर्द पर पच्चास पच्चास औरतों की किफ़ालत-ओ-ख़बरगीरी( का बोझ होगा, जिन में माएं, ख़ालाएं, दादीयां, बहनें, फूफीयां वग़ैरा होंगी)। (बुखारी,मुस्लीम)
हज़रत जाबिर रज़ी. कहते हैं कि मैंने रसूल करीम स.व. को ये फ़रमाते हुए सुना कि क़ियामत आने से पहले झूटों की पैदाइश बढ़ जाएगी, लिहाज़ा उन से बचते रहना। (मुस्लिम)
झूटों से मुराद या तो वो लोग हैं, जो झूटी हदीसें गडेंगे या वो लोग मुराद हैं जो नबुव्वत का झूटा दावा करेंगे।
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी. कहते हैं कि (एक दिन) रसूल करीम स.व. सहाबा किराम से (किसी सिलसिले में) बातें कर रहे थे कि अचानक एक देहाती (मजलिस नबवी में) आया और कहने लगा कि क़ियामत कब आएगी?। हुज़ूर अकरम स.व. ने फ़रमाया कि जब अमानत तलफ़(न्यास नष्ट) की जाने लगी तो क़ियामत का इंतेज़ार करने लगना। देहाती ने पूछा कि अमानत क्योंकर तलफ़ की जाएगी और ये नौबत कब आएगी?। आप ने फ़रमाया जब हुकूमत-ओ-सलतनत का काम नाअहल लोगों के सपुर्द हो जायें तो (समझना कि ये अमानत का तलफ़ हो जाना है और इस वक़्त) क़ियामत का इंतिज़ार करना। (बुख़ारी)
अमानत से मुराद शरीयत की तरफ़ से आइद की जाने वाली ज़िम्मेदारीयां और दीन के अहकाम हैं, जैसा कि क़ुरआन-ए-करीम में इरशाद हें (मायना) की हम ने अमानत को उतारा आस्मान परओरजमीन पर….. मैं अमानत का यही मफ़हूम(उदेश्य) है, या अमानत से लोगों के हुक़ूक़ और उन की अमानतें मुराद हैं। अल्लाह ताला ने बहुत सी ऐसी अलामतें(नीशानीयां) मुक़र्रर की हैं, जो क़ियामत से पहले ज़ाहिर होगी और जो इस अम्र (बात) की निशानीयां होंगी कि अब क़ियामत क़रीब है। चुनांचे इन अलामतों में से एक अलामत अमानतों का ज़ाए करना है कि लोग अमानतों में ख़ियानत करने लगेंगे।