क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी ( NDA) में तक़र्रुत (staffers) के लिए रिश्वतखोरी का स्क़ाम

सी बी आई की जानिब से एन डी ए दौर-ए-हकूमत में तक़र्रुत के मुबय्यना स्क़ाम और इस सिलसिला में 6 अफ़राद बिशमोल एक बरसर ख़िदमत कर्नल की गिरफ़्तारी पर रद्द-ए-अमल (प्रतिक्रिया) ज़ाहिर करते हुए क़ौमी फाई एकेडमी ( NDA) ने कहा कि ऐसे तक़र्रुत के बारे में बे क़ाईदगियों की कोई शिकायात वसूल नहीं हुईं।

क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी ( NDA) अपने तौर पर सिलसिला वार वाक़ियात ( घटनायें) की तहक़ीक़ात कर रही है, जिन के नतीजा में इसके एक ओहदेदार कर्नल कुलबीर सिंह को गिरफ़्तार किया गया है। क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी के जारी कर्दा एक ब्यान में कहा गया है की इस दफ़्तर को किसी भी ज़रीया से तक़र्रुत की कार्रवाई में किसी बेक़ाइदगी की कोई शिकायत वसूल नहीं हुई।

क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी (NDA ) के दफ़्तर को सरकारी मुरासला ( पत्र) भी वसूल नहीं हुआ जो सी बी आई की जानिब से मुक़द्दमा की मुकम्मल तफ़सीलात की एकेडमी को इत्तिला देता हो। सी बी आई के ओहदेदारों ने एक दरख़ास्त रवाना की है, जिस में ख़ाहिश की गई है की बाअज़ ( कुछ) दस्तावेज़ात की एक ओहदेदार की जानिब से जांच करवाई जाए।

दिफ़ाई एकेडेमी ( NDA) का दफ़्तर मुकम्मल तआवुन ( सहायता) करेगा और इस ने मतलूबा दस्तावेज़ात सी बी आई के सपुर्द कर दी हैं। ब्यान में कहा गया है की ये भी समझा जाता है की तक़रीबन 92 लाख 80 हज़ार रुपये सी बी आई ने बाअज़ ( कुछ) सीवीलीयन शहरीयों से ज़ब्त किए हैं जो क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी के अहाता के बाहर क़ियाम पज़ीर हैं।

सी बी आई ने 6 मुल्ज़िमीन बिशमोल कर्नल कुलबीर सिंह, स्टाफ़ आफीसर बराए क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी कमांडेंट लेफ्टीनेंट जनरल जितेन्द्र सिंह के ख़िलाफ़ मुबय्यना ( कथित) तौर पर मातहत अमला के तक़र्रुत के लिए रिश्वत हासिल करने के इल्ज़ाम में मुक़द्दमा दर्ज किए हैं। क़ौमी दिफ़ाई एकेडमी खड़कवासला (Kadakvasla) में क़ायम है, जो पूने के क़रीब है।

सी बी आई ने कहा कि जुमला एक करोड़ 76 लाख रुपये मुल्ज़िमीन के पास से तलाशी मुहिम के दौरान ज़ब्त किए गए हैं, जिस में मुंबई, पूने, गुड़गावँ और सोनपत में धावे किए गए थे। तमाम मुल्ज़िमीन को 2 जुलाई तक सी बी आई की तहवील में दिया गया है।

मुल्ज़िम अफ़राद ने मुबय्यना ( कथित) तौर पर इन उम्मीदवारों के दस्तख़त हासिल किए थे, जिन्होंने रिश्वत अदा करने से इत्तिफ़ाक़ किया था। ये दस्तख़त सादा काग़ज़ पर हासिल किए गए थे और बादअज़ां उन पर इम्तिहानी सवालात के दुरुस्त जवाब जालसाज़ी के तौर पर दर्ज कर दिए गए।