नई दिल्ली,24 जनवरी: दूररस सिफ़ारिशात पेश करते हुए जस्टिस वर्मा कमेटी ने आज क़ानून फ़ौजदारी में ठोस तरमीमात की ताईद की और कहा कि इजतिमाई इस्मत रेज़ि की ज़ियादा से ज़ियादा सज़ा 20 साल क़ैद और इस्मत रेज़ि-ओ-क़त्ल के ख़ातियों को उम्र क़ैद की सज़ा दी जानी चाहिये। ताहम कमेटी ने सज़ाए मौत की सिफ़ारिश से गुरेज़ किया। साबिक़ चीफ़ जस्टिस जे एस वर्मा की ज़ेर-ए-क़ियादत 3 रुकनी कमेटी ने इस्मत रेज़ि के मुजरिमीन की कीमीयाई तौर पर नामर्द बनाने की सिफ़ारिश से भी गुरेज़ करते हुए कहा कि दस्तूरे हिंद इंसानी जिस्म को मस्ख़ करने की इजाज़त नहीं देता।
630 सफ़हात तवील रिपोर्ट में जो आज हुकूमत को पेश की गई कमेटी ने क़ानून के तहत मुक़र्रर करदा बच्चों की उम्र में कमी करने की ताईद भी नहीं की।ताहम कमेटी ने कहा कि क़ानून फ़ौजदारी में जामि तरमीमात ज़रूरी हैं। जस्टिस जे एस वर्मा कमेटी ने 29 दिन के अंदर अपनी तहक़ीक़ाती रिपोर्ट को मुकम्मल करते हुए पेश कर दिया है। इस कमेटी को 80 हज़ार तजावीज़ वसूल हुए हैं। दिल्ली में इजतिमाई इस्मत रेज़ि वाक़िये के बाद तशकील दी गई कमेटी ने जिन्सी हिरासानी वाक़ियात से निमटने के लिए क़वानीन में बेहतरी लाने के इक़दामात की सिफ़ारिश पेश की है।
जस्टिस जे एस वर्मा कमेटी का एहसास है कि ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम हुक्मरानी की नाकामी का नतीजा है। जस्टिस वर्मा की क़ियादत में तीन रुकनी पियानल से मर्कज़ी हुकूमत ने रुजू होकर 23 दिसमबर को ये ज़िम्मेदारी दी थी कि वो इस्मत रेज़ि के वाक़ियात को रोकने के लिए क़वानीन में तरमीमात की सिफ़ारिश पेश करे। इस पियानल के दीगर अरकान में साबिक़ चीफ़ जस्टिस हिमाचल प्रदेश लीला सेठ और साबिक़ सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रामणियम शामिल हैं।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि ख़वातीन की इस्मत रेज़ि को रोकने के लिए हुकूमत का निज़ाम बुरी तरह नाकाम होचुका है, इस के अलावा उन्होंने ये भी कहा कि यकसाँ तौर पर सदमा ख़ेज़ बात ये है कि हर कोई अपना फ़रीज़ा अदा करने से क़ासिर है। जस्टिस वर्मा ने वज़ारात-ए-दाख़िला को कई जिल्दों पर मुश्तमिल अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद प्रैस कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए कहा कि हम ने अपना काम 29 दिन में पूरा करलिया है जबकि मैंने 30 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने की पेशकश की थी।
इस रिपोर्ट में हिन्दुस्तान के अंदर और बैरून हिंद के अवाम की तरफ् से पेश करदा तजावीज़ शामिल हैं। हमें मुल्क और बैरून-ए-मुल्क से 80 हज़ार तजावीज़ वसूल हुई हैं। अपनी रिपोर्ट को क़तईयत देने से क़ब्ल हम ने इन तजावीज़ को पढ़ा है और इस पर ग़ौर किया है।
इस सवाल पर कि आया उन्होंने रिपोर्ट को क़तईयत देने के लिए वक़्त के ताय्युन का फ़ैसला किस तरह किया था, वर्मा ने कहा कि जब काबीना के एक सीनीयर वज़ीर, वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की जानिब से हम से मुलाक़ात की तो उन्होंने उस वज़ीर से पूछा था कि पार्लीमैंट का अगला सैशन कब होगा, इस वज़ीर ने मुझे बताया था कि पार्लीमैंट का बजट सैशन का 21 फरवरी से आग़ाज़ होरहा है, लिहाज़ा मेरे पास दो माह का वक़्त था और मैंने 30 दिन के अन्दर ये काम ख़त्म करने का फ़ैसला करलिया।
अगर हम दस्तियाब वक़्त के निस्फ़ हिस्से में भी काम करने के काबिल हूँ तो उसे पूरा करना यक़ीनी होजाता है। इस के बाद हुकूमत उसे दस्तयाब वसाइल और हक़ायक़ के मुताबिक़ काम करसकता है। उन्होंने नौजवानों की सताइश की कि इन नौजवानों ने शऊरी तौर पर अपना रद्द-ए-अमल बेहतरीन अंदाज़ में ज़ाहिर किया।
नौजवानों ने सिखाया है कि हमें क्या करना चाहीए। पुरानी नसल इन बातों से वाक़िफ़ नहीं है। मैंने ख़ुशउसलूबी से तमाम उमूर् का जायज़ा लिया है। इस्मत रेज़ि के वाक़िये के बाद जिस तरह एहतेजाजी मुज़ाहिरे हुए, इस मौक़े पर नौजवान ही मैदान में थे जिन्होंने ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सदाए एहतेजाज बुलंद की।