साबिक़ सदर जमहूरीया डक्टर ए पी जे अबदुलकलाम ने कहा कि ख़वातीन पर मज़ालिम एक बहुत बड़ा मसला बन गया है।
मर्द हज़रात को हुस्न-ए-अख़्लाक़ के तौर तरीके सिखाने की ज़रूरत है। आंध्र प्रदेश सोश्यल वेलफेयर रेजिडेंशियल स्कूल प्रोग्राम की तक़रीब से ख़िताब करते हुए डक्टर अबदुलकलाम ने एक तालिबा के पूछे गए सवाल पर कि ख़वातीन के ख़िलाफ़ बढ़ते मज़ालिम को किस तरह रोका जा सकता है।
डक्टर अबदुलकलाम ने कहा कि ज़ाती तौर पर इन का ख़्याल हैके ख़वातीन पर हमले बहुत बड़ा मसला है। मर्द हज़रात को बेहतर तरबियत दी जानी चाहीए।
नौजवानों को ख़वातीन की इज़्ज़त करने का दरस देना होगा। घर के अंदर ही नौजवानों को बेहतर तालीम और तरबियत मिले और स्कूलों में भी उन्हें अच्छी अख़लाक़ी तरबियत दी जाये तो ख़वातीन का एहतिराम करने का दरस दिया जा सकता है।
घर से ही आदमी की तरबियत शुरू होती है, स्कूल और कॉलेजों में भी अख़लाक़ीयात की तालीम देना ज़रूरी है। डक्टर अबदुलकलाम ने कहा कि उन्होंने 15 मिलियन नौजवानों से मुलाक़ात की है और उन्हें ये सीखने को मिले कि हर नौजवान ख़ुद को एक मुनफ़रद शख्सियत बनाना चाहता है।
ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त वालिदेन और असातिज़ा दोनों से तवक़्क़ो की जाती हैके वो मुख़्तलिफ़ मयारात के मुनफ़रद अफ़राद को एक ख़ास दरस देंगे।
उन्होंने तलबा पर ज़ोर दिया कि वो मसाइल का सामना करने और उन्हें हल करने का जज़बा रखें। जब तक आप मसाइल का सामना नहीं करेंगे ,बिला ख़ौफ़ होकर आप कामयाब ज़िंदगी नहीं गुज़ार सकते।