हैदराबाद 20 सितम्बर: ख़स्ता-हाल सड़कों और बेहंगम ट्रैफ़िक के एतबार से शहरे हैदराबाद अबब जैसे शहर बर्बाद में तबदील हो चुका है।कोई महिकमा या ओहदेदार इस ज़िम्मेदारी को क़बूल करने तैयार नहीं कि ट्रैफ़िक को मामूल के मुताबिक़ और आसान बहाओ को यक़ीनी बनाना उस की ज़िम्मेदारी है।
शहर में पिछ्ले तीन दिन से अचानक ट्रैफ़िक मसाइल में हुए इज़ाफे के असरात उस वक़्त बहुत ज़्यादा सामने आए हफ़्ते के पहले दिन बच्चे स्कूल के लिए रवाना हुए और उन्हें रास्तों में ट्रैफ़िक जाम के मसाइल का सामना करना पड़ा। बेशतर स्कूलों में तलबा की बड़ी तादाद वक़्त पर स्कूल नहीं पहुंच पाई और मुलाज़िमीन को भी इन मसाइल के सबब मुश्किलात पेश आएं। महकमा ट्रैफ़िक पुलिस के ओहदेदारों को कहना है कि शहर में सड़कों की ख़स्ता हालत के सबब ट्रैफ़िक मसाइल पैदा हो रहे हैं जबकि मजलिस बलदिया अज़ीम-तर हैदराबाद की तरफ से उन मसाइल की यकसूई के लिए सड़कों की तामीर-ओ-मरम्मत के बजाये बारिश के बहाने बनाते हुए अवाम को तकालीफ़ में मुबतेला किया जार हा है।
शहरे हैदराबाद को आलमी सतह के शहरों या स्मार्ट सिटी में तबदील करने के दावे का जायज़ा लिया जाये तो काग़ज़ी ख़ाना-पुरी और याददाश्त मुफ़ाहमत के दस्तावेज़ात पर दस्तख़त की कई तसावीर हासिल हो जाएँगी लेकिन सड़कों की ख़स्ता-हाली के इस मसले की यकसूई के वादों के बावजूद मुताल्लिक़ा वज़ीर की तरफ से कोई इक़दामात नहीं किए जाना इस बात की दलील है कि शहरीयों को बुनियादी सहूलतों की फ़राहमी से हुकूमत को कोई दिलचस्पी नहीं है।