लखनऊ, 28 मई (सियासत न्यूज़) फ़ैज़ाबाद के चीफ़ जूडेशियल मजिस्ट्रेट जो मौलाना ख़ालिद मुजाहिद की पुलिस हिरासत में हुई पुरासरार मौत की अदालती तहक़ीक़ात कर रहे हैं, के सामने आज मौलाना ख़ालिद मुजाहिद के साथी हकीम तारिक़ क़ासिमी, सज्जाद , मुहम्मद अख़तर ने 18 मई को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ वापसी के वक़्त हुई ख़ालिद मुजाहिद की बाराबंकी ज़िला अस्पताल में हुई मौत के बात अपने अपने बयानात कलमबंद कराने दूसरी तरफ़ आज फ़ैज़ाबास जेल में लगाए गए ख़ुसूसी अदालत में लखनऊ, फ़ैज़ाबाद और वारणसी के ज़िला कचहरियों में 23 नवंबर 2007 को हुए साईकल बम धमाकों के मुल्ज़िमान हकीम तारिक़ क़ासिमी, सज्जाद अलरहमान मुहम्मद अख़तर को पेश किया गया।
मुक़द्दमा के दौरान मंसूर अलहाई ऐडवोकेट ने मुक़द्दमा में दाख़िल वकालतनामा पर अपने दस्तख़त बताते हुए कहा कि उन्होंने ही पाँच वुकला के पैनल को मुल्ज़िमों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा की पैरवी के लिए खड़ा किया है। इससे क़ब्ल मंसूर अलहाई अख़बारात में ये बयान दे चुके थे कि उन्होंने इस मुक़द्दमा में अपना कोई वकालतनामा दाख़िल नहीं किया है जिस पर गुज़शता पेशी पर मुल्ज़िमान के वकील मोतमिद शुऐब एडवोकेट, जमाल अहमद एडवोकेट ने अदालत से इस्तिदा की थी कि वो मंसूर अलहाई के वकालतनामा की हक़ीक़त जानने के लिए उन्हें अदालत में तलब करें जिस पर अदालत ने मंसूर अलहाई को अदालत में तलब किया था।
मंसूर अलहाई अड्डो की फ़िलवक़्त समाजवादी अधिवक्ता सभा के ज़िला सदर हैं। उन्होंने ही 23 नवंबर 2007 को फ़ैज़ाबाद ज़िला कछरी में हुए बम धमाकों की बाबत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हकीम तारिक़ क़ासिमी ख़ालिद मुजाहिद वग़ैरह पर जब समाजवादी पार्टी की हुकूमत ने मुक़द्दमा वापस लेने की बाराबंकी की अदालत में दरख़ास्त गुज़ारी इसके बावजूद मंसूर अलहाई एडवोकेट ने अपनी पार्टी की हुकूमत के इस फ़ैसले से इन्हेराफ़ करते हुए मुल्ज़िमान के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा की भरपूर पैरवी के लिए फ़ैज़ बार असोसीएसन के पाँच सीनीयर वुकला जिनका ताल्लुक़ भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार से है, अदालत में ला खड़ा किया, जिस पर वज़ीर-ए-आला अखिलेश यादव के इस फ़ैसले पर उनकी हुकूमत मुबय्यना मुस्लिम दहशतगर्दों पर से मुक़द्दमा वापस ले रही है।
इस पर सवालिया निशान उस वक़्त लगने लगे जब उन की पार्टी के मंसूर अलहाई एडवोकेट ने हुकूमत की इस दरख़ास्त की मुख़ालिफ़त के लिए वुकला का पैनल मुक़र्रर कर दिया। इसके बावजूद मंसूर अलहाई एडवोकेट के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी ने कोई तादीबी कार्रवाई नहीं की ना इन्हें समाजवादी अधिवक्त्ता संघ के सदर के ओहदे से हटाया गया और ना समाजवादी पार्टी से निकाला गया।