ख़ालिद मुजाहिद के क़तल की सी बी आई तहक़ीक़ात का हुक्म

लखनउ

मुबय्यना अस्करीयत पसंद ख़ालिद मुजाहिद की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में आज उस वक़्त एक नया मोड़ आगया जब इलहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ जज ने इस माम्ले की सी बी आई तहक़ीक़ात का हुक्म जारी किया। जौनपूर के रहने वाले ख़ालिद पर इल्ज़ाम था कि 2007 में यू पी की मुख़्तलिफ़ अदालतों में हुए धमाकों में वो मुलव्विस थे।

2013 में फ़ैज़ाबाद से लखनउ जाते हुए पुलिस व्यान में पुरासरार अंदाज़ में उनकी मौत होगई थी। जस्टिस अजय‌ लाम्बा ने इस माम‌ले की सी बी आई से जांच कराने का फ़ैसला मरहूम के चचा मौलाना ज़हीर आलम फ़लाही की जानिब से दाख़िल अर्ज़ी पर समाअत करते हुए दिया है।

सी बी आई को ये हिदायत भी जारी की कि वो 6जुलाई 2015 को अपनी इस्टेट्स रिपोर्ट दे। जबकि 18 मई 2013 को ख़ालिद मुजाहिद की मौत वाक़्य हुई थी और इंतेक़ाल के एक दिन बाद ही यू पी हुकूमत ने सी बी आई जांच का ऐलान कर दिया था लेकिन जब 7माह बाद भी केस की जांच शुरू नहीं हुई तो मुजाहिद के अहल-ए-ख़ाना ने इस ज़िमन में सुप्रीम कोर्ट से रुजू किया था।

वाज़िह रहे कि सी बी आई ने तकनीकी पहलू के सबब तहक़ीक़ात शुरू नहीं करने की बात कही थी। क़ाबिल-ए-ज़िकर है कि ख़ालिद मुजाहिद को यू पी ए टी एस्टीम धमाकों के इल्ज़ाम में 22दिसम्बर 2007को बारह बनकी रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार करके उन के पास से आर डी ऐक्स , डेटोनेटर्स जैसी धमाका ख़ेज़ अशीया बरामद करने का दावा किया था।

हालाँकि इस मामले की तहक़ीक़ात करने वाले जस्टिस आर डी निमेश कमीशन की रिपोर्ट में पुलिस और ए टी एसके किरदार पर ही सवाल खड़े करते हुए बम धमाकों के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार तारिक़ क़ासिमी और ख़ालिद मुजाहिद को बेक़सूर बताया गया था।