ज़ाकिर नायक की एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर लगे पांच साल के प्रतिबन्ध पर इस्लामिस्ट प्रिचर परिषद् ने कहा कि यह प्रतिबंध गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण था। इस आदेश के खिलाफ हम लोग अधिकरण देंगे। नाइक के वक़ील मुबीन सोलकार ने एएनआई से बात करते हुए कहा हमे प्रतिबन्ध से पहले कोई नॉटिस नहीं दिया गया था जबकि कानून के अंतर्गत अगर किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना होता है तो उससे पहले सरकारी दस्तावेजों में उसको छपवाना पड़ता है फिर उसकी एक कॉपी संगठन को भेजी जाती है।
सोलकार ने आगे कहा यूएपीए के सेक्शन 3 के अंतर्गत हमे कोई नॉटिस नहीं मिला था। इस के अनुसार यह प्रतिबन्ध गैर कानूनी और अन्यायपूर्ण था क़्योंकि इस केस में यूएपीए प्रावधान का प्रयोग नहीं किया गया था। अपने बचाव पर ज़ोर देते हुए उन्होंने आगे कहा की किसी संघटन को गैरकानूनी तरीके से प्रतिबन्ध करना मतलब 153 सेक्शन ए के अंतर्गत अपराध को बढ़ावा देना है।
अपने स्थापना से लेकर एआईआरएफ ने आज तक शांति, समानता, सामाजिक और परोपकारी गतिविधियों का प्रचार किया है। यह प्रतिबन्ध पूरी तरह से गैरकानूनी है और इसलिए अगर नॉटिस ज़ारी भी किया जायेगा तो अधिकरण की पुष्टि होने से पहले प्रभाव में नहीं आएगा। अपने केस पर विश्वास दिखाते हुए सोलकार ने कहा कि मैं अधिकरण के सामने केस रखूंगा और मुझे पूरा यकीन है कि प्रतिबन्ध को रद्द कर दिया जायेगा।
केंद्र ने नाइक की एनजीओ पर पांच साल का प्रतिबंध लगाते हुए बाकि कानून एजेंसियों को सभी संघटनो की गतिविधियों पर नज़र रखने का आदेश दिया था. यह आदेश नाइक के भड़काऊ भाषण के बाद सुरक्षा को नज़र में रखते हुए कैबिनेट कमिटी द्वारा दिया गया था। उसके बाद ग्रह मंत्रालय द्वारा नायक की एनजीओ को शो कॉज नॉटिस भेजा गया और लाइसेंस रद्द करने के प्रकिया का आरम्भ किया गया।
जुलाई 1 के ढाका के आतंकवादी हमले का अपराधी रोहन इम्तियाज़ ज़ाकिर नायक से प्रभावित था। इस खबर को बांग्लादेश के अख़बार डेली स्टार में छापा गया और उसी के बाद ज़ाकिर नायक पर सवाल उठाये गये।ज़ाकिर नायक को कनाडा और यूके में भी उसके धार्मिक भड़काऊ भाषण को लेकर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।वे मलेशिया के 16 प्रतिबन्ध इस्लामिक स्कॉलरों में से एक है।उनपर युवाओं को आतंकवाद की तरफ आकर्षित करने का आरोप है और सुरक्षा एजेंसियों की नज़रों में है।