‘नरेन्द्र’ को महमूद मोदी की हिमायत !

गुजराती मुसलमानों की नस्लकुशी के बाद 2002 के दिसम्बर में गुजरात असेम्बली इलेक्शन के दौरान नरेन्द्र मोदी ने ‘‘शहजादा गौस-ए-आजम बाबा साहब कासिम’’ नामी के एक जालसाज को खरीद कर उसकी जानिब से गुजराती अखबारात में एक इश्तेहार छपवाया था। इश्तेहार में कहा गया था कि गुजरात के मुसलमान कांग्रेस को वोट दें। फिर नरेन्द्र मोदी ने उसी इश्तेहार को फतवा करार देकर अपनी इंतेखाबी मुहिम का सारा फोकस उसी पर मरकूज कर दिया था।

अब राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ असेम्बली इलेक्शन के ठीक पहले नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के एक बोहरा ताजिर के जरिए एक नया शहजादा तलाश कर लिया है जिसका नाम है महमूद मदनी। जिसे बड़ी तादाद में मुसलमान महमूद मोदी तक कहने लगे हैं। महमूद ने एक नया शोशा छोड़ते हुए कहा है कि कांग्रेस और कुछ दीगर सियासी पार्टियां मुसलमानों को मोदी के नाम से खौफजदा करके उनके वोट हासिल करना चाहती है।

महमूद का यह बयान बिला वजह नहीं आया है उन्हें नजदीक से जानने वालों को अच्छी तरह यह मालूम है कि अगर कोई शख्स महमूद की ठीक ठाक माली मदद कर दे तो वह अपने मोहसिन का एहसान चुकाने में अपने ईमान तक का सौदा कर सकते हैं।

इस वक्त महमूद का यह बयान उनके ईमान बेचने जैसा ही है, क्योंकि जिन रियासतों में असेम्बली के इलेक्शन हो रहे हैं उनमें बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है और बीजेपी किसी भी कीमत पर यह इलेक्शन जीतना चाहती है ताकि उसके सहारे वह यह साबित कर सके कि नरेन्द्र मोदी ही इस वक्त मुल्क के मकबूल तरीन लीडर हैं और अगर असेम्बली इलेक्शन के नतीजे बीजेपी के हक में आ जाएं तो उन्हीं के सहारे बीजेपी लोकसभा का इलेक्शन लड़े और नरेन्द्र मोदी को मुल्क का वजीर-ए-आजम बनवाए।

इन रियासतों में दिल्ली के इलावा किसी भी दूसरी जगह बीजेपी और कांग्रेस के इलावा कोई तीसरी इलाकाई पार्टी नहीं है यकीनन महमूद ने यह बयान एक साजिश के तहत दिया है ताकि बीजेपी और मोदी के मैनेजर मीडिया में उनके इस बयान को उछलवाकर इलेक्शन वाली रियासतों के मुसलमानों को वरगला सकें।

महमूद का ताल्लुक मुल्क के मायानाज इस्लामी आलिम शेखुल हदीस मरहूम मौलाना हुसैन अहमद मदनी से है। वह महमूद के दादा थे। मुल्क के मुसलमानों पर उनका जबरदस्त असर हुआ करता था लेकिन लालच बार-बार बिकने और चंद सिक्को के लिए बयानबाजी करने और मुख्तलिफ पार्टियों में शामिल होकर महमूद ने अपनी तो हैसियत खराब ही कर ली दादा और खानदान की इज्जत पर भी बट्टा लगा दिया। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द पर कब्जे के लिए महमूद और उनके चचा अरशद मदनी के दरमियान कई बार बाकायदा टकराव हो चुका है। जिस जलसे में जमीयत दो हिस्सों में तकसीम हुई थी उसमें तो महमूद ने अपने गुण्डों के जरिए अपने बूढ़े चचा अरशद मदनी को धक्के देकर डायस से नीचे गिरवा दिया था।

मुसलमानों में महमूद की हैसियत यह है कि अपने बुनियादी अड्डे देवबंद के नजदीक मुस्लिम अक्सरियत वाले अमरोहा लोकसभा हलके से वह 2009 में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी की हिमायत के साथ राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर इलेक्शन लड़े थे और एक आजाद उम्मीदवार के हाथों बुरी तरह हार गए थे। अमरोहा जैसा मुस्लिम अक्सरियती इलाका, देवबंद नजदीक, जाट बुनियाद वाली अजित सिंह पार्टी का टिकट, मुलायम सिंह यादव की हिमायत और करोड़ों की नाजायज दौलत थी, इसके बावजूद मौलाना मरहूम हुसैन अहमद मदनी का पोता लोकसभा का इलेक्शन बुरी तरह हार गया था मुसलमानों में उसकी क्या हैसियत है इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

इसके बावजूद जिस दिन से महमूद ने यह बयान दिया कि नरेन्द्र मोदी का डर दिखाकर कांग्रेस समेत कई पार्टियां मुसलमानों का वोट हासिल करना चाहती हैं। नरेन्द्र मोदी को हामी मीडिया ने महमूद को मुसलमानों में सबसे ज्यादा असरदार लीडर बताना शुरू कर दिया है। प्राइवेट चैनलों के एंकर्स और न्यूज रीडर्स इस सिलसिले में जब किसी सियासतदां से कोई सवाल करते हैं तो इस कमेंट के साथ करते हैं कि ‘‘महमूद का मुस्लिम समाज में बड़ा असर है।’’ इस तरह नरेन्द्र मोदी को मुल्क का वजीर-ए-आजम बनवाने पर तुला राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और उसका हमदर्द मीडिया महमूद को मुसलमानों में बाअसर बताकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली के मुस्लिम वोटो को गुमराह करने की कोशिश कर रहा हैं।

महमूूद देवबंद के रहने वाले हैं, अपने दादा के नाम और देवबंद की तारीख का फायदा उठाकर वह मुसलमानों के नाम पर दुनिया भर से चंदा इकट्ठा करते हैं। देवबंद से नजदीक मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, बागपत वगैरह में सितम्बर के पहले हफ्ते से जाट बनाम मुस्लिम टकराव चल रहा है। पचास हजार से ज्यादा मुसलमान या तो कैम्पों में है या रिश्तेदारों के यहां पनाह लिए हुए हैं। वह अपने घरों में नहीं जा पा रहे है।

महमूद वहां जाकर मुसलमानों के जख्मों पर मरहम लगाने या जाटो के साथ बातचीत करके उन्हें उनके घरों तक पहुंचाने में तो कोई मदद नहीं कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी की मदद के लिए जयपुर और दिल्ली जाकर बयानबाजी जरूर कर रहे हैं। महमूद ने कहा कि कांग्रेस और कुछ दूसरी सियासी पार्टियां नरेन्द्र मोदी का खौफ दिखाकर मुसलमानों के वोट हासिल करना चाहती हैं। आम मुसलमानों में इस बात पर भी सख्त नाराजगी सवाल और है कि क्या मुसलमान किसी से डर कर किसी को वोट देता है? ऐसी बात कहने के लिए महमूद को माफी मांगनी चाहिए। (हिसाम सिद्दीकी)

————बशुक्रिया: जदीद मरकज़