अंग्रेज़ीदाँ शायर

* उर्दू के एक मारूफ़ शायर को गुफ़्तगु के दौरान अपने हर जुमले में अंग्रेज़ी का कोई नया लफ़्ज़ टाँकने की आदत थी।
वो जब भी अंग्रेज़ी का कोई नया लफ़्ज़ सुनते तो अपने किसी साथी से उसके मानी पूछ लेते।

एक दिन दौराने गुफ़्तगु लिटरेचर का लफ़्ज़ सुना तो अपने साथी से पूछ बैठे।
यार ये लिटरेचर के क्या माने हैं।
साथी ने जवाब दिया… अदब।

उसी शाम काफ़ी हाऊस में मौलाना चिराग़ हुसैन हसरत ने शायरे मज़कूर से कहा अज़ीज़म! सुना है तुम मेरे बारे में बड़ी बकबक करते रहते हो ?

शायर मज़कूर ने हाथ बांधते हुए कहा मौलाना ये कैसे हो सकता है, में तो अप का बेपनाह लिटरेचर करता हूँ।
लिटरेचर लफ्ज के इस तरह इस्तेमाल सुन कर मौलाना दमबख़ुद रह गये।