अंग्रेजी हमारे लिए मजबूरी नहीं होनी चाहिए: नीतीश

बिहार के वज़ीर ए आला नीतीश कुमार ने एक प्रोग्राम में शिरकत करते हुए पहली बार अंग्रेजी के खिलाफ मुंह खोले हैं नीतीश ने कहा कि अंग्रेजी हमारे लिए मजबूरी नहीं होनी चाहिए |

उन्‍होंने सवाल खड़ा किया कि अगर अंग्रेजी इतनी ही अहम है, तो लीडर इलेक्शन में अंग्रेजी में तकरीर क्यों नहीं देते?

पटना में उर्दू ज़ुबान के एक प्रोग्राम जश्न-ए-उर्दू में नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम ही न चले उर्दू और हिन्दी के बहाने नीतीश का यह हमला अंग्रेजी पर था | उन्होंने कहा कि चीन, जापान, जर्मनी और फ्रांस दुनिया के वे मुल्क हैं, जिन्होंने यह दिखा दिया कि बिना अंग्रेजी के भी तरक्की याफ्ता मुल्क बनाया जा सकता है.

हिन्दी और उर्दू को सगी बहन बताते हुए नीतीश कुमार ने उन नौकरशाहों को आड़े हाथों लिया, जो यूपीएससी इम्तेहान में भी अंग्रेजी को लाज़मी बनाए रखना चाहते हैं नीतीश ने कहा कि बार-बार यूपीएससी इम्तेहान में अंग्रेजी की बजाए मुल्क की ज़ुबान पर जोर देने की बात होती है, लेकिन इलेक्शन के बाद वह हवा हो जाती है नीतीश ने माना कि उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्होंने स्कूल में उर्दू नहीं पढ़ी |