अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू बिहार बंद होने के कगार पर, लाखों का क़र्ज़, ग्रांट की राशि में वृद्धि की मांग

पटना: वित्तीय मुश्किलों के कारण अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू बिहार का कार्यालय बंद होने की कगार पर है। उर्दू के अधिकार दिलाने का दावा करने वाली राज्य सरकार संगठन के ग्रांट को लेकर पूरी तरह से लापरवाही का प्रदर्शन करती रही है। हाल यह है कि बिजली बिल देने के लिए भी संगठन के पास पैसा नहीं हैं।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार अंजुमन पर 11 लाख रुपये का बिजली बिल बाकी है। इन सभी मुश्किलों के बाद भी अंजुमन उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए नेट और जेआरएफ की कोचिंग का हर साल प्रबंध करती है। साथ ही राज्य के सभी जिलों में अंजुमन की शाखाएं हैं, जहां उर्दू को बढ़ावा देने के संबंध में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। फिर भी ग्रांट के मामले में सरकार टालमटोल का रवैया अपना रही है।

अंजुमन की एक और मुश्किल यह भी है कि वित्तीय संकट से निकलने के लिए उसे राजनेताओं की भी मदद नहीं मिल पा रही है। जदयू के नेता बार-बार यह कहते रहे हैं कि अंजुमन का कोई काम नहीं है, इसलिए ग्रांट की राशि में वृद्धि नहीं होगी।

उल्लेखनीय है कि अंजुमन को एक साल में मात्र आठ लाख रुपया मिलता है और यह पैसा अंजुमन में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर ही खर्च हो जाता है। विकास कार्य के लिए सरकार एक भी रुपया नहीं दे रही है। ऐसे में अंजुमन उर्दू को बढ़ावा देने के संबंध में क्या काम कर सकती है, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।