2004 आम चुनाव के दौरान लाल दरवाज़ा को हरा दरवाज़ा बना देने वाली तक़रीर करने वाले मजलिसी रुकने असेंबली अकबरुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ फ़ौजदारी कार्रवाई चलाने के लिए महिकमा क़ानून ने सिटी पुलिस को इजाज़त दे दी है।
तफ़सीलात के बमूजब 2 अप्रैल 2004 में चंदरायनगुट्टा में वाक़्ये ग्रांड सर्किल होटल के क़रीब मुनाक़िदा जलसे से ख़िताब में अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपनी तक़रीर में इद्दिआ किया था के वो लाल दरवाज़ा को हरा दरवाज़ा बनादेंगे।
इस तक़रीर का अज़खु़द नोट लेकर चंदरायनगुट्टा पुलिस के उसवक़्त के सब इन्सपेक्टर अशोक कुमार ने एक मुक़द्दमा जिस का क्राईम नंबर 77/2004, दफ़ा 153(A)( दोनों फ़िरक़ों के दरमयान मुनाफ़िरत फैलाना), 188 और 125 आर पी एक्ट के तहत दर्ज किया था।
बताया जाता हैके रुकने असेंबली ने इस केस में ज़मानत हासिल की थी। 26 जून साल 2004 को हैदराबाद सिटी पुलिस ने महिकमा क़ानून को मकतूब रवाना किया था जिस में अकबरुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ 153(A) दफ़ा के तहत फ़ौजदारी कार्रवाई की इजाज़त तलब की थी।दस साल के तवील अर्सा के बाद हुकूमत की तरफ से एक जी ओ जिस का नंबर 754 है जारी किया गया। इस जी ओ के तहत महिकमा क़ानून ने हैदराबाद सिटी पुलिस को अकबरुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ फ़ौजदारी कार्रवाई करने की इजाज़त दे दी है।
मज़कूरा दफ़ा के तहत पुलिस को मुल्ज़िम के ख़िलाफ़ हुकूमत से फ़ौजदारी कार्रवाई चलाने के लिए इजाज़त ज़रूरी है। पुलिस ज़राए ने बताया कि मजलिसी रुकने असेंबली के ख़िलाफ़ अनक़रीब चार्ज शीट दाख़िल की जाएगी और बैरूनी दौरे से वापसी के बाद उन से तफ़तीश भी की जा सकती है।