अकबरुद्दीन केस:इब्राहीम याफई की मौत गोली लगने से हुई थी

हैदराबाद 30 नवंबर: विधायक चंदरायनगुट्टा हमला मामले की रोज़ाना असास पर जारी समाअत में तहसीलदार वहीदा महिला ने अपना बयान कलमबंद करवाया।

वकील दिफ़ा जी गुरु मूर्ति ने गवाह से जिरह की और समाअत कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। अदालत में दिए गए बयान में तहसीलदार ने बताया कि 2009 ता 2011 जून उन्होंने तहसीलदार इन्क़ुएस्ट की हैसियत से आर डी ओ हैदराबाद के कार्यालय में ख़िदमात अंजाम दी।

उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल 2011 को चंदरायनगुट्टा पुलिस ने उन्हें इब्राहिम बिन यूनुस याफ़ई नामक युवक का इन्क़ुएस्ट पंचनामा करने का अनुरोध किया जिस पर उन्होंने उस्मानिया जनरल अस्पताल के मुर्दा ख़ाना पहुंच कर वहां पर मौजूद दो गवाह मिर्जा सरफराज बैग, मुहम्मद हामिद और अन्य के बयान कलमबंद किए।

उन्होंने बताया कि महलूक इब्राहीम याफ़ई के शरीर में मौजूद नेवी ब्लू टी शर्ट और अन्य परिधान जो खून से लुथपुथ थे प्राप्त कर लिए। वहीदा महिला ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह राय दी है कि मौत का कारण गोली लगने से हुई है। इस बयान के बाद वकील दिफ़ा जी गुरुमूर्ति ने उन पर जिरह शुरू की जिसके दौरान कई सवाल किए गए। जिरह में तहसीलदार ने बताया कि उन्हें याद नहीं है कि स्पेशल कार्यकारी मजिस्ट्रेट की ओर से की गई मजिस्टेरिअल जांच में उन्होंने बताया था कि वह गवाहों के बयान लिए ओवैसी अस्पताल गई थीं और वहां से दवाख़ाना उस्मानिया पहुंची।

तहसीलदार से उनके स्पेशल कार्यकारी मजिस्ट्रेट हैदराबाद के सामने कलमबंद किए गए बयान पर जिरह की गई। उन्होंने यह स्वीकार किया कि जो बयान कलमबंद गया था वही उनके हवाले किया गया और उस पर उनके हस्ताक्षर भी हैं। हलफ़िया बयान के पहले पैराग्राफ में क्राइम नंबर का उल्लेख है और वे सीआरपीसी के प्रावधानों से पूरी तरह परिचित नहीं हैं और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इब्राहीम याफ़ई की मौत से संबंधित एक अलग मामला भी दर्ज किया गया है।

उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि महलूक के शरीर पर दो गोलियों के निशान और घाव के निशान पाए गए। वहीदा महिला ने जिरह में यह बताया कि उन्हें वह बैलिस्टिक विज्ञान से परिचित नहीं हैं। गवाह ने महलूक युवा की टी शर्ट और परिधान की पहचान की। उन्होंने बताया कि उनके अनुभव से यह पता चलता है कि गोली लगने के आंतरिक निशान छोटे और निकलने का निशान बड़ा होता है और उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौजूद जानकारी जिसमें महलूक के शरीर पर चोटों के निशान होने का जिक्र है से परिचित नहींहैं।

गवाह ने जिरह के दौरान बताया कि उन्होंने चंदरायनगुट्टा पुलिस के अनुरोध पर इन्क़ुएस्ट और पोस्टमार्टम के लिए उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक प्रोफेसर से पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की मांग की थी और वह पोस्टमार्टम के दौरान मुर्दाघर के बाहर थीं। उन्हें पोस्टमार्टम सीडी वितरित नहीं की गई।

वहीदा महिला ने जिरह के दौरान बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि दो पक्षों घायल होने पर दो अलग मामले दर्ज किया जाना अनिवार्य है। अदालत ने इस मामले की कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित कर दिया।