अकबर ओवैसी हमला केस अदालत में तीन गवाहों के बयान कलमबंद

हैदराबाद 08 नवंबर: अकबरुद्दीन ओवैसी हमला मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले की समाअत भीतरी तीन महीने पूरा करने की नामपल्ली सेशन कोर्ट के निर्देश के बाद अभियोजन पक्ष ने तीन गवाहों को पेश किया जहां उनका बयान कलमबंद किया गया और वकील दिफ़ा उन पर जिरह किया। पंच गवाह 46 वर्षीय मुहम्मद हामिद ने अपने बयान में बताया कि पुलिस ने उन्हें गवाही के लिए उस्मानिया दवाख़ाना मांगा था जहां मृतक इब्राहिम बिन यूनुस याफिी के परिधान को जब्त किया गया। गवाह ने बताया कि पोस्टमॉर्टेम के दौरान उन्हें मृतक युवक की टी शर्ट दिखाई गई जिसमें गोलियों के सुराख पाए गए लेकिन अदालत में इसी टी शर्ट को फिर दिखाया जिस पर गवाह ने कहा कि टी शर्ट के सामने भाग में मौजूद दो बड़े सुराख जब्ती के दौरान मौजूद नहीं थे।

गवाह मुहम्मद हामिद पर वकील दिफ़ा एडवोकेट जी गुरु मूर्ति ने जिरह किया जिसके बाद उसने बताया कि पोस्टमॉर्टेम के दौरान गन मैन जानी मियां मौजूद था और उसने कहा कि किशोरों पर फायरिंग की थी और टी शर्ट पर मौजूद गोलियों के निशान पाए जाने की सूचना दी थी।

पोस्टमॉर्टेम करने वाले तहसीलदार ने भी टी शर्ट पर निशान होने की पुष्टि की लेकिन मौजूदा परिधान में दो बड़े सुराखों से अनजान व्यक्त किया। गवाह ने बताया कि पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में मौजूद जानकारी से वह परिचित नहीं है क्युंकि वह अंग्रेजी से अनजान है। गवाह ने मजलिस कार्यकर्ता होने से इनकार किया और कहा कि वह अफजल गंज में होटल चलाता है।

एक और वकील दिफ़ा एडवोकेट राज वर्धन रेड्डी की ओर से जिरह पर मुहम्मद हामिद ने कहा कि वह पुलिस के इशारे पर अदालत में गवाही नहीं दे रहा है और ना वह पूर्व में पंच गवाह के रूप में गवाही दी है। मामले की समाअत के दौरान वोडाफोन कंपनी के कार्यकारी नोडल अधिकारी पी जय लक्ष्मी ने अदालत में अपना बयान कलमबंद करवाते हुए बताया कि वोडाफोन कंपनी के ग्राहक मुहम्मद बिन सालेह ने पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज दाखिल करके सिम कार्ड हासिल की थी और उनके मोबाइल नंबर के कॉल डाटा को पुलिस के हवाले कर दिया गया है।

वकीलों दिफ़ा की ओर से जिरह में कहा कि वह दो अलग मोबाइल फोन्स के बीच बातचीत का विवरण नहीं बता सकती हैं। सेवानिवृत्त जिला राजस्व अधिकारी मदन मोहन राव ने अदालत में बयान देने की कोशिश की लेकिन उनकी ओर से दस्तावेजों की गैर आपूर्ति पर उनका बयान कलमबंद न हो सका।