अकबर और महाराणा प्रताप की महानता की लड़ाई में अब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कुद पड़े हैं। उन्होंने कहा है कि महाराणा प्रताप को इतिहास में वो जगह नहीं मिलनी चाहिए थी वे नहीं मिली। उन्होंने इतिहासकारों से पूछा है कि महाराणा प्रताप में कौन-सी ऐसी कमी थी जिसकी वजह से इतिहासकार उन्हें छोड़ अकबर को महान लिखते है।
दरअसल, उन्होंने ये बात महाराणा प्रताप के एक स्टैच्यू अनावरणके दौरान कही। उन्होंने राजपूत योद्धा के योगदान का पुनः मूल्यांकन करने के लिए इतिहासकारों से आग्रह किया और कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि इतिहासकारों को अकबर की महानता तो नजर आई, लेकिन राजस्थान के वीर सपूत महाराणा प्रताप की महानता नजर नहीं आयी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इतिहासकारों से यह भूल हुई है।
इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि इतिहासकारों को अकबर तो महान दिखा लेकिन महाराणा प्रताप की महानता उन्हें दिखायी नहीं दी। इतिहासकारों ने इस मामले में सही मूल्यांकन नहीं किया है। इतिहासकारों को अपनी इस गलती को सुधारना चाहिए।
इस दौरान गृहमंत्री ने महाराणा प्रताप को अद्भुत शौर्य और साहस का प्रतीक बताया और कहा कि महाराणा प्रताप ने संघर्ष किया। उन्हें गद्दी और सत्ता विरासत में मिली। लेकिन यह गद्दी फूलों की नहीं, बल्कि कांटों की सेज थी। महाराणा प्रताप अदभ्य साहस के प्रतीक थे। त्याग और बलिदान का दूसरा नाम महाराणा प्रताप था। महाराणा ने कभी भी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। सारे हिन्दुस्तान ने उन्हें जननायक के रूप में स्वीकार किया है।