अकबर हमला केस: वकील दिफ़ा का एतराज़, समाअत में ख़लल

हैदराबाद 20 अगस्त: चंद्रायंगुटटा रुकने असेंबली हमला केस की समाअत में उस वक़्त ख़लल पैदा हो गया जब वकील दिफ़ा ने असलाह-ओ-गोला बारूद की दूकान के मालिक की तरफ से असली कारोबारी रजिस्टर अदालत में दाख़िल ना करने पर एतराज़ किया।

जज ने केस की समाअत को रोक दिया और गवाह को असली दस्तावेज़ात 22 अगस्त को अदालत में पेश करने की हिदायत दी। हमला केस के गवाह नंबर 26 मुहम्मद सिराजुद्दीन शफ़ीक़ जो पत्थरगटटी में वाक़्ये रफ़ीक़ आरमरी असलाह-ओ-गोला बारूद दूकान के मालिक है ने सातवें एडिशनल मेट्रोपोलिटन सेशन जज के मीटिंग पर अपना बयान कलमबंद कराने के दौरान दो वकलाए दिफ़ा ऐडवोकेट गुरु मूर्ती और एडवोकेट अहमद अली ने असली कारोबारी दस्तावेज़ात की अदम फ़राहमी पर एतराज़ किया।

गवाह ने बताया कि कारोबारी दस्तावेज़ात की नक़ल पुलिस को फ़राहम की है और दस्तावेज़ात उनकी तसदीक़ शूदा है। गवाह ने ये दावे किया कि एक मुबय्यना मुल्ज़िम ने उनकी दूकान में अपने हथियार जमा करवाए थे। वकील दिफ़ा ने एतराज़ करते हुए जज से दरख़ास्त की के गवाह की तरफ से अदालत में ना ही असली दस्तावेज़ात जमा किए गए हैं और मज़कूरा दस्तावेज़ात अदम तसदीक़ शूदा और काबिल-ए-क़बूल नहीं है।

स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर ओमा महेश्वर राव‌ ने ये इस्तेदलाल पेश किया कि तसदीक़ शूदा रजिस्टर की नक़ल काबिल-ए-क़बूल है लेकिन वुकला दिफ़ा की तरफ से मुसलसिल एतराज़ किए जाने पर जज ने कारोबारी दस्तावेज़ात की नक़ल का मुआइना किया और उसे क़बूल करने से इनकार करते हुए गवाह को ये हिदायत दी कि वो 22 अगस्त को अदालत में असल कारोबारी रजिस्टर दाख़िल करे।

गवाह से मुख़्तसर जरह के तौर पर बाज़ सवालात किए गए जिसमें ये सवाल किया गया कि क्या हथियार जमा करवाने वालों की तफ़सीलात का कारोबार रजिस्टर में इंदिराज होता है और क्या इन दस्तावेज़ात को पुलिस में दाख़िल किया जाता है। गवाह ने बताया कि रजिस्टर में तमाम तफ़सीलात के इंदिराज के बाद ही पुलिस को मतला किया जाता है।