अक़लियतों को क़र्ज़ा जात की फ़राहमी में बैंकों का तसाहुल तो एक मुस्लिमा अमर है ताहम अकलियती मालीयाती कारपोरेशन की भी कारकर्दगी इस सिलसिले में कोई हौसला अफ़्ज़ा-ए-नहीं है।
जारीया माली साल के दौरान अकलियती मालीयाती कारपोरेशन की तरफ से क़र्ज़ा जात की फ़राहमी के लिए तकरीबन 100 करोड़ रुपये मुख़तस किए गए थे ताहम माली साल के इख़तेताम के लिए बमुश्किल तीन माह रह गए हैं मगर मुक़र्ररा निशाना का सिर्फ़ 5.34 फ़ीसद सिर्फ़ किया गया है।
बैंकर्स कमेटी के मीटिंग में पेश दस्तावेज़ के मुताबिक़ कारपोरेशन के लिए जारीया माली साल में 33334 नौजवानों में 100 करोड़ रुपये बतौर सब्सीडी तक़सीम करने का निशाना मुक़र्रर किया गया था ताहम 17 दिसंबर 2013 तक 41226 दरख़ास्तों को स्पांसर करते हुए 11897 दरख़ास्तों के लिए 32.90 करोड़ रुपये मंज़ूर किए गए मगर हैरत की बात ये हैके सिर्फ़ 1942 दरख़ास्त गुज़ारों ने 4.71 करोड़ रुपये हासिल करके ख़ुद रोज़गार हासिल किया है। बैंकर्स कमेटी का एहसास हैके अगरचे 29% दरख़ास्तों को स्पांसर किया गया है मगर तक़सीम मंज़ूरियों के मुताबिक़ नहीं है।
अकलियती कारपोरेशन को मश्वरा दिया गया कि वो RSETIs के साथ ताल मेल करते हुए इमकानी इस्तेफ़ादा कुनुन्दगान की निशानदेही करे। नायब सदर नशीन-ओ-मैनेजिंग डायरेक्टर अकलियती मालीयाती कारपोरेशन से भी ख़ाहिश की गई कि वो इस तवज्जा मर्कूज़ करे और मनज़ोरा यूनिट्स के आजलाना क़ियाम के लिए बैंकों से मुआमला को रुजू करें।
जारीया माली साल के दौरान 30 सितंबर 2013 तक दस्तावेज़ के मुताबिक़ अक़लियतों से बैंकों को वसूल तलब रक़म 13583.33 करोड़ रुपये है।