कमिशनर अक़लीयती बहबूद जनाब शेख़ मुहम्मद इक़बाल (आई पी एस) ने कहा कि अल्लाह ताला ने उन्हें अक़लीयतों की तालीमी और मआशी तरक़्क़ी में हिस्सादारी अदा करने का एक मौक़ा फ़राहम किया है और वो इस बात की कोशिश करेंगे कि रियास्ती हुकूमत ने अक़लीयतों की तालीमी और मआशी तरक़्क़ी की जो स्कीमात मंज़ूर की हैं उन पर पूरी शफ़्फ़ाफ़ियत के साथ अमल किया जाए। कमिशनर अक़लीयती बहबूद की ज़िम्मेदारी सँभालने के बाद जनाब शेख़ मुहम्मद इक़बाल ने बेशतर अक़लीयती इदारों की कारकर्दगी का जायज़ा लिया ताकि हक़ीक़ी सूरते हाल से वाक़िफ़ीयत हो।
उन्हों ने इंतिहाई कम अर्सा में उर्दू अकेडमी, हज कमेटी, अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन, क्रिस्चन फ़ाइनेन्स कारपोरेशन, दायरतुल माअरूफ़ और सेंटर फ़ॉर एजूकेशनल डेवलप्मेंट ऑफ़ माइनॉरिटीज़ की कारकर्दगी का जायज़ा लिया। वक़्फ़ बोर्ड के उमूर का जायज़ा लेने के लिए वो बहुत जल्द इजलास तलब करेंगे। सियासत से ख़ुसूसी बात-चीत में जनाब शेख़ मुहम्मद इक़बाल ने कहा कि उन्हों ने अक़लीयतों की ख़िदमत के जज़्बा के तहत कमिशनर अक़लीयती बहबूद के ओहदा की ज़िम्मेदारी क़ुबूल की है।
महकमा पुलिस के एक आला ओहदेदार की हैसियत से अक़लीयती इदारों की कारकर्दगी को बेहतर बनाना उन के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं। उन्हों ने कहा कि वो चाहते हैं कि अक़लीयतों की तालीमी और मआशी तरक़्क़ी से मुताल्लिक़ स्कीमात को अव्वलीन तर्जीह दी जाए और हुकूमत के बजट का मुकम्मल और सही इस्तेमाल हो। शेख़ मुहम्मद इक़बाल ने कहा कि मुख़्तलिफ़ इदारों की कारकर्दगी का जायज़ा लेने के बाद उन्हें अंदाज़ा हुआ कि अक़लीयतों की भलाई के सिलसिले में अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है।
गुज़िश्ता चंद बर्सों में जब से कि हुकूमत ने अक़लीयती बहबूद के बजट में इज़ाफ़ा किया है अक़लीयती इदारों की कारकर्दगी उस क़दर हौसला अफ़्ज़ा नहीं जिस तरह कि होना चाहीए। उन्हों ने जायज़ा इजलासों के दौरान ओहदेदारों पर वाज़ेह कर दिया कि स्कीमात पर अमल आवरी में किसी किस्म की बदउनवानी या तसाहुल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्हों ने कहा कि वो हर इदारा पर गहरी नज़र रखेंगे और ख़िदमात में तसाहुल या बदउनवानी में मुलव्विस अफ़राद के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
उन का कहना है कि महकमा अक़लीयती बहबूद की ज़िम्मेदारी सँभालना ख़ालिस ख़िदमत के जज़बा के तहत है और यहां काम करने वाले तमाम मुलाज़मीन और ओहदेदारों को भी ये बात ज़हन नशीन रखनी चाहीए कि यहां सिर्फ़ ख़िदमत का जज़बा ही अक़लीयतों को फ़ायदा पहुंचा सकता है। शेख़ मुहम्मद इक़बाल ने कहा कि वो ओहदेदारों और मुलाज़मीन पर वाज़ेह कर चुके हैं कि अगर उन्हें अक़लीयती इदारों से किसी और माली मुनफ़अत की तवक़्क़ो है तो वो बेहतर है कि अक़लीयती इदारों से दीगर इलाक़ों में मुंतक़िल हो जाएं।
उन्हों ने उर्दू अकेडमी और हज कमेटी की कारकर्दगी को इतमीनान बख़्श क़रार दिया। ताहम अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन, सी ई डी एम और क्रिस्चन फ़ाइनेन्स कारपोरेशन की सरगर्मीयों में मज़ीद वुसअत दिए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। 10 अज़ला में इन जायदादों की निशानदेही की गई। वो डिप्टी डायरेक्टर, सुपरिनटेन्डेन्ट और दीगर जायदादों पर तक़र्रुरात के सिलसिले में मौज़ूं ओहदेदारों की तलाश में हैं और इस सिलसिले में बेशतर ओहदेदारों ने अपनी दरख़ास्तें पेश की हैं।
उन्हों ने कहा कि वो अक़लीयती कमिशनेरीएट को मुस्तहकम करते हुए महकमा अक़लीयती बहबूद की कारकर्दगी को बेहतर बनाने के इक़दामात करेंगे। उन्हों ने यक़ीन दिलाया कि अक़लीयतों ने उन से जो तवक़्क़ुआत वाबस्ता की हैं वो उन पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे।