तेलंगाना हुकूमत अक़लियतों की फ़लाह-ओ-बहबूद के बलंद बाँग दावे कररही है और महिकमा अक़लियती बहबूद आइन्दा मालीयाती साल अक़लियतों की भलाई के लिए 1200 करोड़ के बजट की तवक़्क़ो वाबस्ता किए हुए हैं। इन दावों के बरख़िलाफ़ जारीया साल 10 माह के दौरान हुकूमत ने अक़लियती बहबूद के बजट के सिलसिले में जिस संजीदगी का इज़हार क्या वो बजट की इजराई की हक़ायक़ की बुनियाद पर इस के दावओं को खोखला साबित करने के लिए काफ़ी है।
आदाद-ओ-शुमार के एतेबार से देखा जाये तो हुकूमत ने बजट में अक़लियती बहबूद के लिए 1030 करोड़ रुपये मुख़तस किए थे लेकिन मालीयाती साल के इख़तेताम तक सिर्फ़ 200 करोड़ जारी किए गए। वज़ीर फाइनैंस की तरफ से बजट को क़तईयत देने के सिलसिले में तलब किए गए मीटिंग में अक़लियती बहबूद के ओहदेदारों ने बजट की मंज़ूरी इजराई और बक़ायाजात के बारे में जो तफ़सीलात पेश कीं उसकी बुनियाद पर हुकूमत से आइन्दा साल के बजट के ख़र्च के सिलसिले में ज़ाइद उम्मीद नहीं की जा सकती।
सरकारी आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ जारीया साल तक़रीबन 7 एसी स्कीमात हैं जिन के लिए एक पैसा भी जारी नहीं किया गया। जिन स्कीमात के सिलसिले में हुकूमत ने बजट मुख़तस करने के बावजूद एक रुपये भी जारी नहीं क्या इन में अक़लियती तालिबात के लिए अक़ामती स्कूलस की तामीर तेलंगाना स्टडी सर्किल में अक़लियती तलबा को कोचिंग की फ़राहमी अक़लियती तलबा के नामवर मदारिस में दाख़िला चरचस और क़ब्रिस्तानों की निगहदाशत की स्कीम शामिल हैं।
बजट की इजराई के इस मौक़िफ़ को देखते हुए आइन्दा साल के लिए हुकूमत से कुछ ज़्यादा तवक़्क़ो नहीं की जा सकती। हुकूमत ने जारीया साल भी अक़लियतों के लिए कई एलानात किए थे लेकिन 10 माह के दौरान बजट की इजराई में महिकमा फाइनैंस ने अक़लियती बहबूद के साथ जांबदारी का रवैया इख़तियार किया।
दिलचस्प बात तो ये हैके अक़लियती उमूर की निगरानी के लिए कोई अलाहिदा वज़ीर तक मौजूद नहीं। चीफ़ मिनिस्टर चन्द्रशेखर राव ने अक़लियती बहबूद का क़लमदान अपने पास रखा है जिस के सबब अक़लियती बहबूद के रोज़मर्रा के उमूर की निगरानी का कोई नज़म नहीं।
अक़लियती बहबूद की फाईलों की आजलाना यकसूई इस लिए भी मुम्किन नहीं कि उन्हें चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर रवाना किया जा रहा है जहां से फाईल की जल्द यकसूई का कोई इमकान नहीं होता।अक़लियती बहबूद के ओहदेदार आइन्दा साल के लिए कई नई स्कीमात और ज़ाइद बजट के अलावा मुकम्मिल ख़र्च के बारे में पुर उम्मीद है लेकिन जारीया साल के तल्ख़ तजुर्बा को देखते हुए ये मुम्किन नज़र नहीं आता। 10 माह के दौरान हुकूमत ने चार मरहलों में बजट जारी किया जो मजमूई तौर पर 200 करोड़ 24 लाख 80 हज़ार है जबकि 829 करोड़ 75लाख 20 हज़ार रुपये अभी तक जारी नहीं किए गए अब जबकि असेंबली के बजट मीटिंग का आग़ाज़ क़रीब है लिहाज़ा नए बजट की तैयारी में हुक्काम मसरूफ़ होचुके हैं लिहाज़ा माबक़ी बजट की इजराई के इमकानात मौहूम है।
अक़लियतों के लिए मुख़तस करदा 1030 करोड़ में पहले मरहले में जून ता अगस्त 62 करोड़ 16 लाख 30 हज़ार रुपये जारी किए गए जबकि सितंबर में 87 करोड़ 45 लाख 6 हज़ार का बजट जारी किया गया। अक्टूबर और नवंबर में 24 करोड़ 89लाख 92 हज़ार जारी किए गए।
दिसंबर और जनवरी में 25 करोड़ 73 लाख 52 हज़ार का बजट जारी किया गया। इजराई के इन आदाद-ओ-शुमार का जायज़ा लें तो पता चलता हैके कई इदारों के लिए महिकमा फाइनैंस ने बजट तो जारी कर दिया लेकिन वो अभी तक मुताल्लिक़ा इदारों तक नहीं पहुंचा क्युंकि इस के लिए बाज़ ज़रूरी उमूर की तकमील बाक़ी है। हुकूमत की काफ़ी तशहीर की गई शादी मुबारक स्कीम के लिए 100 करोड़ रुपये मुख़तस किए गए लेकिन सिर्फ़ 20 लाख रुपये की इजराई अमल में आई।
इसी तरह अक़लियती तलबा के स्कालर शपस के लिए 100 करोड़ मुख़तस किए गए थे जिन में 15 करोड़ जारी किए गए। फ़ीस बाज़ अदायगी के लिए मुख़तस करदा 400 करोड़ में सिर्फ़ 60 करोड़ रुपये जारी किए गए।
बैंकों से मरबूत सब्सीडी की इजराई स्कीम के लिए 95 करोड़ मुख़तस किए गए थे जबकि 3 मराहिल में 30 करोड़ 86 लाख रुपये ही जारी किए गए। दाइरा तुलमारफ़ के लिए मनज़ोरा 2 करोड़ में सिर्फ़ 99 लाख जारी हुए। उर्दू एकेडेमी के लिए मुख़तस करदा बजट में सिर्फ़ 3 करोड़ 28 लाख जारी हुए हैं।