मर्कज़ी वज़ीर बराए अक़लियती उमूर के रहमान ख़ान ने मुसलमानों और पसमांदा तबक़ात में इत्तेहाद को वक़्त की अहम ज़रूरत क़रार देते हुए कहा कि जब तक मुत्तहिद होते हुए जद्द-ओ-जहद नहीं की जाएगी उस वक़्त तरक़्क़ी मुम्किन नहीं है।
उन्होंने अक़लियतों के मुस्तक़बिल को ताबनाक और शानदार क़रार देते हुए कहा कि अब अक़लियतों को तए करना है कि वो अपना मुस्तक़बिल शानदार बनाएंगे या जिन हालात से हम गुज़र रहे हैं , इन हालात से समझौता करेंगे।
उन्होंने अक़लियतों खास्कर मुसलमानों पर ज़ोर दिया कि वो अपनी ताक़त को समझें, रहमान ख़ान ने कहा कि ये मुल्क अक़लियतों के बगै़र तरक़्क़ी नहीं करसकता।
रहमान ख़ान ने फ़िर्कापरस्त ताक़तों की तरफ़ इशारा करते हुए अक़लियतों को ताक़त बख़शने वाले आईन को बदलने की कोशिशें की जा रही हैं।
रहमान ख़ां ने कहा कि नरेंद्र मोदी एहमीयत का हामिल नहीं है बल्कि इस के पीछे साज़िशी और फ़िर्कापरस्त ताक़तें जो आज़ादी से लेकर आज तक इस मुल्क के दस्तूर को सेकूलर सेकुलरिज्म मबनी रखना नहीं चाहते, उन पर नज़र रखने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि आज अक़लियतों के तहफ़्फ़ुज़ और उनके हुक़ूक़ की बात होरही है ताहम उन्होंने कहा कि हम भी हिंदुस्तानी शहरी हैं हमें वही हुक़ूक़ हासिल हैं जो दुसरे अब्ना-ए-वतन को हासिल हैं , हमारे जो मुतालिबात हैं वो जायज़ और हक़बजानिब हैं। लेकिन सिर्फ़ मुतालिबात से हुक़ूक़ हासिल नहीं किए जा सकते।
मर्कज़ी वज़ीर ने कहा कि उन्हें इस बात की फ़िक्र लाहक़ रहती है कि हम अपने मसाइल की किसी तरह निशानदेही करेंगे। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी मुसलमान तर्जीहात की निशानदेही में नाकाम रहा।जनाब रहमान ख़ां ने कहा कि अगर हम तर्जीहात का इरादा करें तो फिर कोई ताक़त इसे रद्द नहीं करसकती।
उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क एक जमहूरी मुल्क है , इस में तमाम की शिरकतदारी होनी चाहे और अगर कोई पार्टी या कोई क़ौम ताक़त के बलबूते पर मनमानी करे तो वो जमहूरीयत नहीं कहिलायगी।
उन्होंने फ़िर्कापरस्ती और तक़सीम सियासत पर अफ़सोस का इज़हार किया कि हमारे पास क़ियादत का हक़ ख़त्म होगया है और हमारी क़ियादत ज़म होगई है अब इस में वो ताक़त नहीं रही कि वो ख़ुद को मनवसके।
रहमान ख़ान ने कहा कि क़ियादत को ताक़तवर बनाना हमारी ज़िम्मेदारी है। सियासत में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे इस्लाफ़ ख़ास तौर पर मौलाना मुहम्मद अली , मौलाना आज़ाद, रफ़ी अहमद क़दवाई जैसे क़ाइदीन ने कांग्रेस पार्टी की क़ियादत की है।
हिंदुस्तान मुसलमानी कांग्रेस को संवारने और इसे ताक़त देने में उतनी ही क़ुर्बानी दिया है जितनी दूसरी क़ौमों ने दी है , इस लिए हमें कांग्रेस से लगाओ है। कांग्रेस को मुस्तहकम करने की ज़रूरत ज़ाहिर करते हुए रहमान ख़ां ने कहा कि कांग्रेस को कमज़ोर करना अपने आप को कमज़र करने के बराबर है।
उन्होंने मुल्क में कांग्रेस के ख़ातमे की सूरत में दस्तूर का भी ख़ातमा होने का दावे किया। उन्होंने अवाम से अपील की के वो कांग्रेस पर ब्रहमी का इज़हार ना करें बल्कि ग़लती करने वाले क़ाइदीन पर ग़ुस्सा जताएं। कांग्रेस को कमज़ोर करना मुसलमानों के हक़ में फ़ायदेमंद नहीं है। वज़ारत अक़लियती उमूर के सात साल की तकमील पर उन्होंने कहा कि हम ये दावा नहीं करसकते कि हम ने मुकम्मिल कामयाबी हासिल की , बल्कि स्कीमात का जो ढांचा बनाया गया है अगर इस पर अमल आवरी होती है और इस के समरात से इस्तेफ़ादा हुआ है तो हमारे मुतालिबात का जवाब हमें मिल जाएगा।