जयपुर 03 जून: हुकूमत सुप्रीम कोर्ट को मुतमइन करने की कोशिश करेगी कि 27 फ़ीसद ओ बी सी कोटा में अक़लियतों के लिए 4.5 फ़ीसद कोटा मुक़र्रर करने की राय मज़हबी बुनियादों पर नहीं है बल्के ये उनकी पसमांदगी की बुनियाद पर है।
वज़ीर ख़ारिजा सलमान ख़ूर्शीद ने आज ये बात बताई। उन्होंने यहां एक सेमिनार से ख़िताब करते हुए कहा कि हम ( हुकूमत) कोशिश करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की दस्तूरी बंच को मुतमइन करसकें कि अक़लियतों के लिए ज़ेली कोटा की राय मज़हबी बुनियादों पर नहीं बल्के पसमांदगी की बुनियाद पर है।
उन्होंने कहा कि मज़हब की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात नहीं होते ताहम मज़हब की बुनियाद पर इसे शामिल करसकते हैं। उन्होंने कहा कि काबीना की तशकील के वक़्त यह फिर किसी सिलेक्शन कमेटी के वक़्त उसी अंदाज़ से शमूलीयतों को यक़ीनी बनाया जाता है।
तमाम क्लास और मज़ाहिब के मानने वालों को मौक़ा दिया जाता है। उन्होंने वज़ीर बराए अकलियती उमूर के रहमान ख़ान पर ज़ोर दिया कि वो अदालत के सामने ये नुक्ता पेश करें।
ख़ूर्शीद सच्चर कमेटी के सात साल बाद के मौज़ू पर समेनार से ख़िताब कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तहफ़्फुज़ात किसी एक मख़सूस ज़ात को नहीं दिए जा रहे हैं लेकिन अगर किसी मख़सूस ज़ात के सारे ही लोग पसमांदा हूँ तो फिर उनकी पसमांदगी की बुनियाद पर उन्हें तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाने चाहिऐं।
इसी तरह कुछ उसे मज़ाहिब होसकते हैं जिनके मानने वाले पसमांदा हूँ। इसी लिए उन्हें भी पसमांदगी की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाने चाहिऐं।
उन्होंने कहा कि मसावी मवाक़े कमीशन के क़ियाम के पसेपर्दा हुकूमत की मंसूबा बंदी यही हैके मुख़्तलिफ़ शोबे जात में तमाम तबक़ात से ताल्लुक़ रखने वाले अफ़राद को मौक़ा फ़राहम किए जाये।
मिस्टर सलमान ख़ूर्शीद ने वाज़िह किया कि इस का मतलब ये नहीं हैके जो लोग मुस्तहिक़ नहीं हैं उन्हें भी तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाएंगे जैसा कुछ लोगों को ग़लतफ़हमी है।
खासतौर पर अकलियती बिरादरी को इस ताल्लुक़ से ग़लतफ़हमी है। ये सेमिनार सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशात पर अमल आवरी का जायज़ा लेने के ताल्लुक़ से मुनाक़िद हुआ था।
इस में मुसलमानों की समाजी मआशी और तालीमी सूरत-ए-हाल पर सिफ़ारिशत की गई हैं। उन्होंने कहा कि हुकूमत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में ज़ेर इलतिवा तहफ़्फुज़ात के मसले को जल्द अज़ जल्द हल करने की हर मुम्किना कोशिश की जाएगी।