अक़लीयती बहबूद के इदारों में ओहदेदारों की कमी, हुकूमत बेबस

अक़लीयती बहबूद के इदारों में ओहदेदारों की कमी के बाइस हुकूमत भी बेबस नज़र आरही है और वो ज़ाइद ज़िम्मेदारी निभाने वाले ओहदेदारों की जगह नए ओहदेदारों के तक़र्रुर से क़ासिर है। अक़लीयती इदारों में ओहदेदारों की कमी कोई नया मसअला नहीं। गुज़िश्ता कई बरसों से अक़लीयती इदारों में ओहदेदारों और मुलाज़मीन की कमी के बाइस इन इदारों की कारकर्दगी मुतास्सिर हुई है।

गुज़िश्ता दो सेक्रेट्रीज़ अक़लीयती बहबूद ने हुकूमत से सिफ़ारिश की थी अक़लीयती बहबूद के लिए ज़ाइद अमले का अलाटमैंट किया जाये लेकिन इन तजावीज़ पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। ओहदेदारों की कमी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुज़िश्ता ढाई माह से एक ओहदेदार अपनी नई पोस्टिंग पर जाने के लिए अक़लीयती बहबूद से रेलिव होने के मुंतज़िर हैं लेकिन महकमा उन्हें छोड़ने के मौक़िफ़ में नहीं है।

वाज़ेह रहे कि एम ए हमीद एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर हज कमेटी जो वक़्फ़ बोर्ड के चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर की हैसियत से ज़ाइद ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, उन का 17 जुलाई को तबादला किया गया। देखना ये है कि हुकूमत मुतबादिल इंतेज़ाम करेगी या फिर इस से क़ब्ल ही मज़कूरा ओहदेदार को रिलिव कर दिया जाएगा।

इसी दौरान सैक्रेट्री अक़लीयती बहबूद ने 25 अगस्त को चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर वक़्फ़ बोर्ड को मेमो जारी करते हुए अख़बार में शाय शूदा एक ख़बर की वज़ाहत तलब की थी। चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर ने हुकूमत को जवाब रवाना करते हुए वज़ाहत की कि स्पेशल ऑफीसर के ग़याब में कोई एन ओ सी जारी नहीं की गई। ताहम उन्हों ने औकाफ़ी इदारों की कमेटियों और तौलीयत की मंज़ूरी जैसे उमूर की वज़ाहत नहीं की।