अरूणाचल प्रदेश की कई ग़ैरसरकारी तंज़ीमों (एन जी औज़) ने मुतालिबा किया है कि हुकूमत अक़लीयती स्कीम से कबायली अवाम के वसीअतर मुफ़ादात के पेशे नज़र फ़ौरी दसतबरदारी इख़तियार करले।
गालव एंडी जीन्स फ़ेथ ऐंड कल्चरल कौंसल ने चीफ़ मिनिस्टर नाबाम टोकी के रियास्ती अक़लीयतों के बारे में बयान को गुमराह कुन क़रार दिया। चीफ़ मिनिस्टर ने असेम्बली में 23 सितंबर को कहा था कि कसीर तबक़ाती तरक़्क़ीयाती प्रोजेक्ट स्कीम जो मर्कज़ी अक़लीयती उमोर वज़ारत के तहत है , रियास्ती कबायलियों के मौक़िफ़ को मुतास्सिर नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि दस्तूर किसी को भी किसी भी हालत में दोहरे फ़वाइद फ़राहम नहीं करता। दर्ज फ़हरिस्त कबायली मौक़िफ़ के बारे में दस्तूर का मौक़िफ़ वाज़िह है। अक़लीयती क़ानून के लिए क़ौमी कमीशन 1992 वाज़िह तौर पर मुस्लमानों, ईसाईयों , सिखों , बुद्धिस्टों और पार्सियों को मज़हबी अक़लीयतें क़रार देती है।