अक़लीयतों के लिए मुख़तस बजट नाकाफ़ी, एहतेजाजी लायेह-ए-अमल जरूरी

मुस्लिम थिंक टैंक और एल्डर्स फ़ोर्म के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा जल्स-ए-आम ब उनवान “ हुकूमत का मुजव्वज़ा सालाना बजट और अक़लीयतों से इंसाफ़ का जायज़ा ” से ख़ेताब करते हुए मेहमान ख़ुसूसी जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा के रियास्ती हुकूमत के जारी करदा रियास्ती बजट में अक़लीयतों का जो हिस्सा है वो नाक़ाबिल-ए-क़बूल है। उन्हों ने मज़ीद कहा कि अक़लीयतों के लिए मुख़तस करदा बजट में मुस्लमानों का हिस्सा मुस्लमानों की आबादी के तनासुब से निहायत कम है, उन्हों ने कहा के आज़ादी के बाद मुस्लमानों की तालीम कारोबार मईशत को मुनज़्ज़म अंदाज़ में नुक़्सान पहुंचाया गया, क़ीमती बाग़ात के मालिक मुस्लमान आज मेवा फ़रोशी पर मजबूर हैं।

आलीशान महलात देवढ़ीयों और कोठियों के मालिक मुस्लमान आज एक छोटे से फ़्लैट में ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर हैं, इंतिहा ये है कि कई मुस्लमान ऐसे हैं जो पुलिस ऐक्शण और क़ियाम आंधरा प्रदेश से कब्ल आलीशान ज़िंदगी गुज़ार रहे थे आज वो और उन की औलादों के पास सर छुपाने के लिए छत तक मोयस्सर नहीं है, हिंदूस्तान के मुस्लमानों की तबाही की ऐसी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती। उन्हों ने मज़ीद कहा के मुस्लमान आठ सौ बरस तक इस मुल्क पर हुक्मरानी करते रहे मगर मुस्लमानों की मौजूदा हालत-ए-ज़ार हुकूमतों की अदम तवजह का शिकार हो गई है। उन्हों ने कहा के मुस्लमानों की हालत-ए-ज़ार में सुधार और आबादी के तनासुब से बजट की इजराई के लिए मुनज़्ज़म अंदाज़ में एहतिजाज नागुज़ीर है।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा के ओक़ाफ़ी इमलाक की बाज़याबी और इस से हासिल होने वाली आमदनी ही मुस्लमानों के हालत को मुस्तहकम करने के लिए काफ़ी है। उन्हों ने कहा के कांग्रेस हुकूमत के दौर में लिंको हिलज़ की मौक़ूफ़ा अराज़ी को कोड़ीयों के मूल राज गोपाल के हवाले कर दिया गया और राज गोपाल ने मज़कूरा अराज़ी के ज़रीया दस हज़ार करोड़ रुपये कमाए, अगर इस रक़म का निस्फ़ हिस्सा वक़्फ़ बोर्ड के हवाले करदिया जाय तो रियासत के मुस्लमान को हुकूमत के आगे हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

उन्हों ने मज़ीद कहा के हैदराबाद में बैन-उल-अक़वामी एयर पोर्ट का भी मौक़ूफ़ा अराज़ी पर क़ियाम अमल में लाया गया है और इस मौक़ूफ़ा अराज़ी की बाज़याबी अब मुम्किन नहीं है मगर हुकूमत वक़्फ़ बोर्ड जी ऐम आर एयर पोर्ट इंतिज़ामीया के साथ वक़्फ़ बोर्ड को शराकतदार बनादे तो एयर पोर्ट की आमदनी का आधा हिस्सा वक़्फ़ बोर्ड को मिलेगा जिस के ज़रीया मआशी और तालीमी तौर पर पसमांदा मुस्लमानों के हालात में तबदीली लाई जा सकती है ।जलसा की सदारत प्रोफ़ेसर कांचा ईलिया ने की।

जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान, सदर नशीन तेलंगाना पर जा फ्रंट मिस्टर ग़दर साबिक़ा रुक्न पार्लीमैंट व तेलगुदेशम क़ाइद लाल जान बाशाह, सदर नशीन मूमैंट फ़ार पीस ऐंड जस्टिस हामिद मुहम्मद ख़ान, नायब सदर टी पी एफ़ मिस्टर ऐम वेद कुमार , स्टेट जनरल सिक्रेट्री तंज़ीम इंसाफ़ कामरेड नुसरत मुही उद्दीन, मुहतरमा प्रोफ़ेसर रिहाना सुलताना ने भी इस जलसा से ख़ेताब किया।

अली उद्दीन कादरी ने जलसा की कार्रवाई चलाई मिस्टर कांचा ईलिया ने अपने सदारती ख़ेताब में कहा कि बजट और इस में अक़लीयती तबक़ात की हिस्सादारी का मौज़ू ज़ेर-ए-बहस है ।उन्होंने मज़ीद कहा के सालों तक मुल्क पर हुकूमत करने वाली क़ौम की हालत कसम पुर्सी में ज़िंदगी गुज़ारने पर मुझे तशवीश और ताज्जुब है । उन्हों ने कहा के मुस्लमानों की हालत-ए-ज़ार में तबदीली तालीम के आम होने से मुम्किन है।

जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान ने जलसा के आग़ाज़ पर अपने कलीदी ख़ुतबा के दौरान मुस्लिम थिंक टैंक और एल्डर्स फ़ोर्म की जानिब से क़ायम की गई पंद्रह कमेटीयों का तज़किरा करते हुए कहा के स्कालरशिप, बैंक कवारडीशन, बजट एलोकेशन, पब्लिक रीलीशन, वज़ीर-ए-आज़म पंद्रह नकाती प्रोग्राम, पब्लिक एवरनेस सनसटाइज़िनग , लॉबीइंग, अप पी ऐम एफ सी मानीटरीइंग, एजूकेशन, इम्पलाइमैंट, वक़्फ़ मानीटरीइंग,

उर्दू एकेडेमी मानीटरीइंग, माहाना मीटिंग, मानीटरीइंग बॉडी कमेटीयों के नामों का ऐलान किया। उन्हों ने मुस्लमानों की तालीमी, मआशी , समाजी, सयासी पसमांदगी को दूर करने और मुस्लमानों को दरपेश मसाइल के हल में दिलचस्पी रखने वाले मुस्लिम-ओ-ग़ैर मुस्लिम दानिश्वरों को मज़कूरा कमेटीयों में किसी एक का इंतिख़ाब करके रियासत के मुस्लमानों को दरपेश मसाइल के हल की इस जद्द-ओ-जहद में अपने नुमायां ख़िदमात अंजाम देने की ख़ाहिश की