अक़लीयतों को सब्सीडी पर क़र्ज़, बैंकों का अदम तआवुन

अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन की जानिब से बैंकों से मरबूत सब्सीडी की इजराई के बावजूद क़र्ज़ की इजराई के सिलसिले में उम्मीदवारों को बैंकों के अदम तआवुन के सबब मुश्किलात का सामना है।

मालीयाती साल 2013-14 के मंज़ूरा सब्सीडी की रक़म को अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन ने उम्मीदवारों के अकाउंट में मुंतक़िल करना शुरू कर दिया है और उस की इत्तिला उम्मीदवारों को दे दी गई। ताहम जब उम्मीदवार मुताल्लिक़ा बैंक से रुजू हो रहे हैं तो बैंक हुक्काम किसी ना किसी बहाने टाल मटोल की पॉलिसी अख़्तियार किए हुए हैं।

हैदराबाद ही नहीं अज़ला में भी उम्मीदवार रोज़ाना बैंकों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं। क़्वाइद के मुताबिक़ अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन की जानिब से सब्सीडी की रक़म की इजराई के बाद बैंक को क़र्ज़ की रक़म जारी करनी चाहीए लेकिन बैंक इस से साफ़ तौर पर इनकार कर रहे हैं या फिर ज़रूरी उमूर की तकमील का बहाना बनाकर क़र्ज़ की रक़म जारी करने से गुरेज़ कर रहे हैं।

कई ऐसे उम्मीदवारों ने अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन पहुंच कर इस सिलसिले में बैंकों के अदम तआवुन की शिकायत की। मैनेजिंग डायरेक्टर अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन प्रोफ़ेसर एस ए शकूर ने इस मसअले को स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी से रुजू करने का फ़ैसला किया है क्योंकि बैंकर्स कमेटी ने तमाम बैंकों को क़र्ज़ की इजराई के सिलसिले में निशाने अलॉट किए हैं।

दरख़ास्तों की दोबारा जांच के बाद तक़रीबन 50 फ़ीसद उम्मीदवारों को सब्सीडी की रक़म जारी हो चुकी है ताहम बैंकों का अदम तआवुन का रवैया उम्मीदवारों के लिए मुश्किलात का बाइस बना हुआ है जिस के सबब वो छोटे कारोबार के आग़ाज़ से महरूम हैं।