अक़ल्लीयतों के बजट में इज़ाफ़ा का मुतालिबा

कोरटला, २७ जनवरी (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) जनाब यूनुस अक़बानी रियास्ती जनरल सेक्रेटरी तेलगुदेशम पार्टी अक़ल्लीयती सेल ने एम एस कमर्शियल सरविस कलोर रोड कोरटला मैं अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि 2010-11का जो मर्कज़ी बजट था।

रियासत आंधरा प्रदेश के टैक्स के ज़रीया 87,600 करोड़ रुपय वसूल हुई, जिन में 20 फ़ीसद टैक्स मर्कज़ को अदा किया गया। 2005०6 में रियास्ती हुकूमत को टैक्स के ज़रीया 34 हज़ार 200 करोड़ रुपय वसूल हुए जिस में से 6 हज़ार 400 करोड़ रुपय मर्कज़ी हुकूमत के खाते में गई।

रियास्ती हुकूमत को टैक्स के ज़रीया इतना फ़ायदा हासिल होने के बावजूद रियास्ती हुकूमत की जानिब से खाने का तेल, बीड़ी, पत्ता, कंप्यूटर्स पार्ट्स, एल जी पी, खाद और दीगर अशीया पर 5 फ़ीसद वैट आइद किया गया जबकि तमिलनाडू, आसाम, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और दीगर किसी भी रियासत में 5 फ़ीसद वैट लागू नहीं है।

वैट के नफ़ाज़ से रियास्ती हुकूमत पर 20 हज़ार करोड़ रुपय का बोझ आइद होगा जबकि रियास्ती अवाम क़ब्लअज़ीं मआशी बोहरान का शिकार है। रोज़मर्रा की अशीया की क़ीमतों में बेतहाशा इज़ाफ़ा से अवाम का जीना मुश्किल हो गया है। अवाम कांग्रेस से ये उमीद लगाए बैठे थे कि कांग्रेस अश्या-ए-ज़रुरीया की क़ीमतों में कमी करेगी लेकिन कांग्रेस के दौर‍ ए‍ इक़्तेदार में 9 मर्तबा डीज़ल और पैट्रोल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा किया गया।

उन्हों ने कहा कि साल गुज़श्ता अक़ल्लीयतों का बजट 300 करोड़ था जबकि तेलगूदेशम पार्टी के दौर‍ ए‍ इक़्तेदार में अक़ल्लीयतों का बजट 175 करोड़ रुपय था। 2004-05ए- और 2010-12-ए-तक हर तबक़ा के बजट में इज़ाफ़ा होता आ रहा है, लेकिन बजट नहीं बढ़ा तो सिर्फ मुस्लमानों का नहीं बढ़ा। उन्हों ने कहा कि सिर्फ 4 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात दे कर मुस्लमानों को ख़ुश किया जा रहा है, जबकि मुस्लमानों की मआशी हालत बहुत ही कमज़ोर है।

हम हुकूमत से मुतालिबा करते हैं कि आने वाले अक़ल्लीयतों का बजट 3 हज़ार करोड़ रुपय कर दिया जाए। उन्हों ने मायनारीटी कारपोरेशन की कारकर्दगी पर तन्क़ीद करते हुए कहा कि मायनारीटी कारपोरेशन का जो इदारा है , अभी तक इस इदारा से मुस्लमानों को 10फ़ीसद भी लोन क़र्ज़ा जात जारी नहीं किए गये।

उन्हों ने कहा कि ग्यारहवीं पंच साला मंसूबा में मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से एस सी तबक़ा को 40 हज़ार करोड़ रुपय मुख़तस किए गए जिस में से 50 हज़ार रुपय ख़र्च किए गई। एस टी तबक़ा के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपय का बजट मुख़तस किया गया, जबकि 6 हज़ार करोड़ रुपय ख़र्च किए गए जबकि अक़ल्लीयतों केलिए 2,516 करोड़ रुपय का बजट मुख़तस किया गया जिस में 1,700 करोड़ रुपय ख़र्च किए गए जबकि आबादी में अक़ल्लीयतों का तनासुब 17 फ़ीसद है।