अक़ल्लीयतों के लिए भी कोटा

मर्कज़ में कांग्रेस ज़ेर क़ियादत यू पी ए हुकूमत ने दीगर पसमांदा तबक़ात ( O.B.C ) को दिए जाने वाले तहफ़्फुज़ात में अक़ल्लीयतों केलिए 4.5 फ़ीसद कोटा मुक़र्रर कर दिया है । इस सिलसिला में कल शाम वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह की सदारत में मुनाक़िदा काबीना के इजलास में फ़ैसला कर लिया गया ।

काबीना में इस मसला पर तफ़सीली ग़ौर-ओ-ख़ौज़ हुआ और बिलआख़िर इस ज़ेली कोटा तहफ़्फुज़ात को मंज़ूरी दे दी गई । गुज़शता कुछ अर्सा से ख़्याल किया जा रहा था कि हुकूमत की जानिब से अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने की कोशिश की जा रही है ।

हुकूमत इस मुआमला में संजीदा है और बहुत जल्द इस ताल्लुक़ से कोई फ़ैसला किया जाएगा।ताहम ये उम्मीद क़तई नहीं की जा रही थी कि काबीना में फ़ौरी तौर पर इस मसला पर फ़ैसला हो जाएगा। ये क़ियास था कि ख़ुद काबीना में इस तजवीज़ की मुख़ालिफ़त होगी और हुकूमत को अपनी हलीफ़ जमातों को इस पर राज़ी करने केलिए कुछ वक़्त दरकार होगा ताहम ऐसा नहीं हुआ और इस को काबीना की मंज़ूरी हासिल हो गई ।

चूँकि मुल़्क की पाँच रियास्तों में और खासतौर पर उत्तरप्रदेश में असैंबली इंतिख़ाबात होने वाले हैं ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने वक़्त ज़ाए ना करते इन तहफ़्फुज़ात का ऐलान कर दिया । चूँकि अब किसी भी वक़्त इन पाँच रियास्तों में इंतिख़ाबात केलिए इलैक्शन कमीशन की जानिब से ऐलान किया जा सकता है और एक बार ऐलान हो जाए तो फिर हुकूमत ज़ाबता अख़लाक़ की वजह से इस तरह का कोई ऐलान नहीं कर सकती ।

इस बात को ज़हन में रखते हुए यू पी ए हुकूमत ने ओ बी सी कोटा में अक़ल्लीयतों केलिए भी कोटा मुक़र्रर करने का ऐलान कर दिया । यक़ीनी तौर पर इस फ़ैसले से हुकूमत सयासी फ़ायदा हासिल करना चाहती है । असल तवज्जा उत्तरप्रदेश की रियासत है जहां असैंबली इंतिख़ाबात में कांग्रेस पार्टी किसी हाल कामयाबी हासिल करना चाहती है और राहुल गांधी वहां ज़बरदस्त मुहिम चला रहे हैं।

राहुल गांधी उत्तरप्रदेश के मुस्लमानों को रिझाने और उन के वोट हासिल करने की सर तोड़ कोशिश कर रहे हैं इसी लिए भी इन तहफ़्फुज़ात का ऐलान किया गया है । तहफ़्फुज़ात के ऐलान के बाद राहुल गांधी को उत्तरप्रदेश के मुस्लमानों के दरमयान जाने और उन्हें पार्टी से क़रीब करने की कोशिशों में मदद मिल सकती है और वो मुस्लमानों में जा कर ये इद्दिआ कर सकते हैं कि इन की पार्टी मुस्लमानों की फ़लाह-ओ-बहबूद और उन की समाजी-ओ-मआशी और तालमी तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाने केलिए संजीदा है ।

कांग्रेस की अपनी तर्जीहात और हुकूमत की अपनी पालिसीयां हैं लेकिन ये ज़रूर कहा जा सकता है कि मर्कज़ी हुकूमत का ये फ़ैसला एक अच्छा फ़ैसला है और इस से अक़ल्लीयतों को फ़ायदा हो सकता है। हालाँकि इस तरह के तहफ़्फुज़ात केलिए काफ़ी तवील वक़्त से मुहिम चलाई जा रही थी और बहुत पहले ये तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाने चाहीए थे लेकिन इस में काफ़ी ताख़ीर हुई ।

देर आइद दरुस्त आइद के मिस्दाक़ ये फ़ैसला एक ऐसा फ़ैसला है जिस पर संजीदगी से अगर अमल आवरी की जाय और इस पर अमल आवरी की राह में किसी तरह की रुकावटें पैदा होने का मौक़ा ना दिया जाये तो इस से मुल्क के मुस्लमानों को और दीगर अक़ल्लीयतों को भी अपनी समाजी मआशी और तालीमी हालत को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है ।

ये बात तो सरकारी तौर पर भी बिलकुल वाज़िह होगई है कि इस मुल्क पर सदीयों तक हुक्मरानी करने वाले मुस्लमान उसी मुल्क में पसमांदा तबक़ात से भी अबतर हालात का शिकार हैं। इन की समाजी और मआशी ज़िंदगी और उन की तालीमी हालत इंतिहाई अबतर है और मुस्लमानों की अक्सरीयत रोज़मर्रा की ज़िंदगीयों में तक बुनियादी सहूलतों से भी महरूम हैं । सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में ये वाज़िह करदिया गया था ।

इस के बाद अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात देने केलिए मुख़्तलिफ़ गोशों से मुतालिबात किए जा रहे थे और हुकूमत ने भी वक़फ़ा वक़फ़ा से वाज़िह किया था कि इस सिलसिला में इक़दामात किए जा रहे हैं और बहुत जल्द हुकूमत इस ताल्लुक़ से फ़ैसला करेगी ।

अब जबकि हुकूमत की जानिब से ओ बी सी कोटा में ज़ेली कोटा मुक़र्रर करदिया गया है ऐसे में ज़रूरत इस बात की है कि इन तहफ़्फुज़ात पर पूरी दियानतदारी और ग़ैर जांबदारी के साथ अमल आवरी को यक़ीनी बनाया जाये ताकि जिस मक़सद-ओ-मंशा के लिए इन तहफ़्फुज़ात का ऐलान किया गया है इस की तकमील होसके और हक़ीक़ी ज़रूरतमंदों और मुस्तहक़्क़ीन को इस के समरात मिल सकें।

हुकूमत को इस बात को यक़ीनी बनाना चाहीए कि वो इन तहफ़्फुज़ात पर अमल आवरी की राह में पैदा होने वाली रुकावटों को दूर करे । महिज़ काबीना में मंज़ूरी और एक आलामीया की इजराई तक ख़ुद को महिदूद करते हुए इस से सयासी फ़ायदा हासिल करने की कोशिश ना की जाये बल्कि पूरी संजीदगी के साथ तहफ़्फुज़ात पर अमल आवरी को यक़ीनी बनाने केलिए इक़दामात किए जाएं क्योंकि अभी से उन तहफ़्फुज़ात की मुख़ालिफ़त का आग़ाज़ होचुका है और बी जे पी ने तो उन तहफ़्फुज़ात को ख़ानाजंगी का पेशख़ैमा क़रार देते हुए अपनी इंतिहा दर्जा की मुस्लिम-ओ-अक़ल्लीयत दुश्मनी को वाज़िह करदिया है ।

ऐसे में हुकूमत की ज़िम्मेदारी में मज़ीद इज़ाफ़ा होजाता है कि वो सयासी मुफ़ादात की बजाय इस मुल़्क की सब से बड़ी अक़ल्लीयत और दीगर अक़ल्लीयतों के भी मुफ़ादात को ज़हन में रखे और तहफ़्फुज़ात पर अमल आवरी को यक़ीनी बनाए ।