अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और फ़लस्तीन

फ़लस्तीन में अमरीका या अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के इक़दामात से पैदा होने वाली सूरत-ए-हाल पर बहुत गहिरी नज़र रखी जाय तो फ़लस्तीनीयों को उन के हुक़ूक़ से महरूम करने की एक नई चाल या मंसूबे का पता चलेगा। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से फ़लस्तीन मसला को रुजू करने सदर महमूद अब्बास की कोशिशों के पीछे क्या मंसूबा कारफ़रमा है, इस सिलसिले में फ़तह ग्रुप के सरबराह को वाज़िह मौक़िफ़ इख़तियार करना चाआहिये। इसराईल ने फ़लस्तीन में अपने तौसीअ पसंदाना अज़ाइम को बरुए कार लाने में कोई कमी नहीं की है। बैत-उल-मुक़द्दस को नुक़्सान पहूँचाने की साज़िश से सारी दुनिया वाक़िफ़ है। इस के बावजूद आलमी ताक़तें ,इसराईल पर रोक लगाने के लिए क़दम उठाना नहीं चाहतीं। इसराईल का उगला मंसूबा यही है कि वो फ़लस्तीनीयों को मज़ीद मुश्किलात से दो-चार करके बैत-उल-मुक़द्दस को उन केलिए नाक़ाबिल रसाई बनादी। फ़लस्तीनीयों को एक आज़ाद ख़ुदमुख़तार ममलकत देने के मौक़िफ़ की बरसों से कोशिश की जा रही है मगर किसी ने भी इस सिम्त में ठोस क़दम नहीं उठाया। ख़ित्ते में अमन के लिए बेहतर से बेहतर इक़दामात करने के बजाय अक़्वाम का ग्रुप ,इसराईल की हिमायत में इंसानी हुक़ूक़ की ख़िलाफ़ वरज़ीयों को नजरअंदाज़ कररहा है। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीन की रुकनीयत के लिए ज़ोर देने से ज़्यादा फ़लस्तीन के हुक़ूक़ की पासदारी करने पर तवज्जा देना ज़रूरी है। सदर फ़लस्तीन महमूद अब्बास की इस कोशिश की अंदरून-ए-मुल्क अहम सयासी ग्रुपों ने मुख़ालिफ़त की है। महमूद अब्बास चाहते हैं कि इस हफ़्ता फ़लस्तीनी ममलकत के लिए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की रुकनीयत हासिल की जाई। इस से फ़लस्तीनीयों को एक सख़्त दौर की मुश्किलात से गुज़रना होगा। यहां सवाल फ़लस्तीनीयों को दरपेश मुश्किलात का नहीं बल्कि उन पर आइद होने वाली ज़्यादतियों, नाइंसाफ़ीयों और अलैहदा ममलकत के मुतालिबा की यकसूई का मसला है। इसराईल को तस्लीम करने या इस के तौसीअ पसंदाना अज़ाइम के आगे फ़लस्तीनीयों को ख़ुद सपुर्द होने की तरग़ीब बहरसूरत किसी भी फ़लस्तीनी के लिए नाक़ाबिल-ए-क़बूल होगी। फ़लस्तीनी अवाम और क़ियादत 1967-ए-से मसाइब का शिकार हैं। 93 रुकनी अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीन के ताल्लुक़ से जो नुमाइंदगी की जाने की कोशिश की जा रही है, उस की हम्मास के लीडर इसमाईल हुनिया ने मुख़ालिफ़त की है। फ़लस्तीनी वज़ीर-ए-आज़म ने फ़लस्तीनी ममलकत को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में तस्लीम करने महमूद अब्बास की कोशिश को सयासी चालबाज़ी क़रार दिया है। इस इक़दाम को अगर फ़लस्तीनी अवाम की हिमायत नहीं है और ना ही अरब अक़्वाम की उन्हें हिमायत मिल रही है तो सदर महमूद अब्बास को अपने अवाम की मर्ज़ी के बगै़र क़दम उठाने से क़बल ग़ौर करना ज़रूरी है। अगर महमूद अब्बास ,अरब अक़्वाम की बेदारी के बरअक्स एक अलग रास्ते पर चल रहे हैं तो उन्हें आइन्दा फ़लस्तीनी अवाम की ब्रहमी का सामना करना पड़े तो हालात पेचीदा होंगी। उन्हें इस बात का एहसास है कि अमरीका के बिशमोल तमाम अक़्वाम ने इसराईल की जारहीयत पसंदी के सामनयान के साथ धोका दिया है। कई मौक़ों पर फ़लस्तीनीयों को अमरीका और दीगर अक़्वाम ने तन्हा छोड़ दिया ही। किसी ने भी फ़लस्तीनीयों के लिए वसीअ उलक़ल्बी का मुज़ाहरा नहीं किया। इसराईली जारहीयत पसंदी के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनीयों की कोशिशों का किसी ने साथ नहीं दिया। फ़लस्तीन के अवाम को इस बात का बहुत तल्ख़ तजुर्बा है कि इन के ख़िलाफ़ हमेशा जांबदाराना कार्यवाहीयां की गई हैं। इस मर्तबा भी अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीन को रुकनीयत देने और इसराईल-ओ-फ़लस्तीन के दरमयान मुज़ाकरात बहाल करने की कोशिश को बोहरान से दो-चार करदिया जा रहा ही। मशरिक़ वुसता में सा लस्सी करने वाले फ़रीक़ों ने अब तक ऐसा कोई मंसूबा नहीं बनाया जिस से फ़लस्तीनीयों का देरीना मसला हल होजाई। फ़लस्तीन और इसराईल के दरमयान अमन बहाल करने के लिए कई महीनों से मुस्तक़बिल के अमन मुज़ाकरात के ज़ाबते तैय्यार करने की कोशिश में भी कोई कामयाबी नहीं मिली और ना ही अब तक किसी ज़ाबता पर इत्तिफ़ाक़ राय पैदा हुआ। इसराईल के लिए अमरीका के सदर बारक ओबामा हूँ या बर्तानवी हुकूमत या फिर योरोपी यूनीयन हरवक़त यकतरफ़ा हिमायत का मुज़ाहरा करते आरहे हैं। फ़लस्तीनीयों को ख़ुद उन की सरज़मीन पर महिदूद करदेने की साज़िश को आलमी ताक़तें आँखें बंद करके रूबा अमल लारही हैं। फ़लस्तीन के अवाम की मआशी तरक़्क़ी को रोक देने वाले ममालिक अगर सदर फ़लस्तीन महमूद अब्बास के कंधों का सहारा लेकर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीनी अवाम के बुनियादी हुक़ूक़ की सौदेबाज़ी करलीं तो इस से सूरत-ए-हाल मज़ीद धमाको होगी। महमूद अब्बास को भी अपने मुलक के क़ौमी उसूलों को बालाए ताक़ रख कर इसराईल के अज़ाइम को नजरअंदाज़ करदेने की पादाश में मुस्तक़बिल में रौनुमा होने वाले ख़तरात का अंदाज़ा कर लेना होगा। वज़ीर-ए-आज़म फ़लस्तीन असमईल हुनिया ने भी यही मश्वरा दिया है कि सदर महमूद अब्बास को ज़िंदा ज़मीरी का सबूत देते हुए इसराईल की हिमायत में तैय्यार करदा आलमी ताक़तों की फ़र्सूदा पालिसीयों को तस्लीम नहीं करना चाआई। न्यूयार्क में अमरीकी सैक्रेटरी आफ़ स्टेट हीलारी क्लिन्टन अपने तौर पर मशरिक़ वुसता में क़ियाम अमन की जिस तरह बातें कररही हैं , साबिक़ में उन के शौहर और साबिक़ सदर अमरीका बिल क्लिन्टन की कोशिशों के बरअक्स मालूम होती हैं। बिल क्लिन्टन ने मरहूम यासर अर्फ़ात के साथ साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इसराईल ऐहूद बारक के साथ क़ियाम अमन की कोशिश की थी मगर इस कोशिश को भी पसेपर्दा बाअज़ ताक़तों ने लम्हा आख़िर में नाकाम बनादिया था। इस लिए महमूद अब्बास को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में अपने अवाम के हुक़ूक़ पर तवज्जा देनी होगी।