यरूशलम, 30 अक्तूबर (राईटर) फ़लस्तीनी सदर महमूद अब्बास ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि अरबों ने 1947 में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की इस तजवीज़ को ठुकरा कर ग़लती की थी जिस में फ़लस्तीन के एक हिस्सा पर इसराईल के क़ियाम की बात कही गई है ।
फ़लस्तीनी लीडरों ने हमेशा इस बात पर इसरार किया है कि जनरल असैंबली की क़रारदाद 181 की अरबों को मुख़ालिफ़त करनी चाहीए क्योंकि उस की वजह से फ़लस्तीन के कुछ हिस्सों पर यहूदी रियासत के क़ियाम की राह हमवार हुई है और अरब इसी के लिए लड़े थे।
वाज़िह रहे कि इस वक़्त फ़लस्तीन पर अंग्रेज़ों की हुकूमत थी। कई दहाईयों तक अरब इसराईल के वजूद और इस की तौसीअ के ख़िलाफ़ लड़ते रही। मग़रिब नवाज़ अब्बास ने अरबों को तारीख़ी तौर पर ग़लत बताकर एक तरह से इसराईल को ज़ैतून की शाख़ पेश की ही। यरूशलम, 29 अक्तूबर (राईटर) फ़लस्तीनी सदर महमूद अब्बास ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि अरबों ने 1947 में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की इस तजवीज़ को ठुकरा कर ग़लती की थी जिस में फ़लस्तीन के एक हिस्सा पर इसराईल के क़ियाम की बात कही गई है ।
फ़लस्तीनी लीडरों ने हमेशा इस बात पर इसरार किया है कि जनरल असैंबली की क़रारदाद 181 की अरबों को मुख़ालिफ़त करनी चाहीए क्योंकि उस की वजह से फ़लस्तीन के कुछ हिस्सों पर यहूदी रियासत के क़ियाम की राह हमवार हुई है और अरब इसी के लिए लड़े थे।
वाज़िह रहे कि इस वक़्त फ़लस्तीनी पर अंग्रेज़ों की हुकूमत थी। कई दहाईयों तक अरब इसराईल के वजूद और इस की तौसीअ के ख़िलाफ़ लड़ते रही। मग़रिब नवाज़ अब्बास ने अरबों को तारीख़ी तौर पर ग़लत बताकर एक तरह से इसराईल को ज़ैतून की शाख़ पेश की है ।