यरूशलम, ०२ दिसंबर: (पीटीआई) फ़लस्तीन के अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में तारीख़ी रायदही के ज़रीया अपने दर्जे को मज़ीद उंचा करते हुए ग़ैर रुकनी मुबस्सिर ममलकत का मौक़िफ़ हासिल करते ही इसराईल ने तीन हज़ार मज़ीद मकानात की तामीर के मंसूबा का ऐलान किया है।
ये तामीरात इन इलाक़ों में की जाएंगी जो मग़रिबी किनारा को तक़सीम करती हैं और इस मंसूबा से अमन के इम्कानात बुरी तरह मुतास्सिर होंगे। इसराईल के वज़ीर-ए-आज़म बिंजामिन नितिनयाहू ने अपनी दाख़िली काबीना से मुशावरत के बाद मशरिक़ी यरूशलम और मग़रिबी किनारा में तीन हज़ार नए मकानात की तामीर का हुक्म दिया।
इसमें नाम निहाद EI इलाक़ा भी शामिल है जो शहर यरूशलम को मालेहा आडमीम बस्ती से मरबूत करता है। इस प्राजेक्ट को तवील अर्सा से ज़ेर-ए-इलतिवा रखा गया था। यही नहीं बल्कि ये एक मुंजमिद प्राजेक्ट था लेकिन अब इसमें भी पेशरफ्त का ऐलान किया गया है।
अगर इस पर अमल किया जाए तो मुतनाज़ा प्राजेक्ट शुमाली और जुनूबी मग़रिबी किनारा में हाइल होगा जिससे मुस्तक़बिल की ममलकत फ़लस्तीन के लिए काम करना दुशवार होगा। फ़लस्तीनी मुज़ाकरात कार साइब इरेकात ने इसराईल के ऐलान की मुज़म्मत की और कहा कि इसराईल सारी बैन-उल-अक़वामी बिरादरी को नजरअंदाज़ कर रहा है और दो मुमलिकती हल को तबाह करने के दरपे है।
उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी क़ियादत मुख़्तलिफ़ इमकानात का जायज़ा ले रही है। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का तारीख़ी सेशन जो जुमेरात को मुनाक़िद हुआ, फ़लस्तीन की तक़सीम के मंसूबा को मंज़ूरी के बाद बिलकुल 65 साल बाद जनरल असेंबली ने भारी अक्सरीयत के साथ फ़लस्तीन को 1967 सर हुदात के साथ ग़ैर रुकनी ममलकत के तौर पर तस्लीम कर लिया।
आलमी इदारा में इसे मुबस्सिर का मौक़िफ़ हासिल रहेगा। तक़रीबन 138 ममालिक बिशमोल हिंदूस्तान ने क़रारदाद की ताईद में वोट दिया था। 41 गैरहाज़िर रहे और 9 बिशमोल अमेरीका और कैनेडा ने मुख़ालिफ़त में वोट दिया, ताहम अमेरीका ने 3 हज़ार नए मकानात तामीर करने इसराईल के फ़ैसले की मुज़म्मत की।