अक़लियत हक़ व मुददों पर मंगल को मुक़ामी वर्कशॉप शरीक खुले मंच का एंकाद किया गया़ इसमें रियासती अक़लियत कमीशन के सदर, डॉ शाहिद अख्तर ने कहा कि आकलियतों के लिए बनी मंसूबों का फायदा उन तक जरूर पहुंचना चाहिए़। मंसूबों का ऑपरेशन जिनके जरिये होता है, उन्हें जवाबदेह बनाया जाय़े। इसमें एनजीओ और मीडिया की अहम किरदार है। मीडिया को आकलियतों की आवाज बुलंद करना होगा। समाज में बदलाव की इच्छा रखनेवालों को आगे आना होगा़।
इंस्टीट्यूट फॉर हयूमन डेवलपमेंट, मशरिकी इलाक़े के डाइरेक्टर डॉ हरीश्वर दयाल ने कहा कि आकलियतों को शक और भेदभाव का सामना करना होता है़ हर मजहब में कट्टरवाद बढ़ा है और इसके ज्यादा शिकार अक़लियत ही होते हैं।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुजीत कुमार चौधरी ने कहा कि झारखंड में मुसलमानों की आबादी 13.8 फीसद, ईसाई 4.1 फीसद, सिख 0.3 फीसद और बौद्ध 0.02 फीसद है। जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ कम्यूनिकेशन के असिस्टेंट डाइरेक्टर ऋतुराज सपकोटा ने भी अपने खयाल रखे। तकरीब में एग्रीकल्चरल फाइनांस कारपोरेशन की तरफ से होटल एकोर्ड में किया गया। इसमें अक़लियत वज़ीर और रियासती अक़लियत कमीशन ने मदद किया।