अख़राजात सेहत जी डी पी का ढाई फ़ीसद करने का फ़ैसला

हुकूमत ने आज फ़ैसला किया कि सेहत के शोबा के लिए अख़राजात को जी डी पी का ढाई फ़ीसद कर दिया जाए। बारहवीं मंसूबा के इख़तेताम तक इस फ़ैसला पर अमल आवरी की जाएगी।

शोबा सेहत के अख़राजात फ़िलहाल जी डी पी का 1.4 फ़ीसद हैं। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की ज़ेर-ए-सदारत मुनाक़िदा एक आला सतही इजलास में फ़ैसला किया गया कि मंसूबा बंदी कमीशन से दरख़ास्त की जाएगी कि सेहत के अख़राजात के लिए काफ़ी वसाइल मुख़तस किए जाएं और जी डी पी के ढाई फ़ीसद रक़ूमात के हुसूल का निशाना हासिल किया जाए।

ताहाल इस सिलसिला में रियास्तों से मदद की अपील नहीं की गई है। ताहम इसका इमकान है। इजलास में जो वज़ीर-ए-आज़म की हिदायत पर दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म में मुनाक़िदा किया गया था, तजवीज़ पेश की गई कि मंसूबा बंदी कमीशन को मुतहर्रिक किया जाए और रियास्तों को ज़्यादा फंड्स सेहत के शोबा के लिए मुख़तस करने की तरग़ीब दी जाए।

इस काम के लिए मौक़े का एक निज़ाम वज़ारत-ए-सेहत से मश्वरा के बाद क़ायम किया जाएगा। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने सेहत के शोबा के अख़राजात में बारहवीं मंसूबा में इज़ाफ़ा करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हालाँकि सेहत के शोबा केलिए फंड्स में कोई मुश्किल दरपेश नहीं होगी, लेकिन इस बात की ज़रूरत है कि मर्कज़ और रियास्तों में बामानी अंदाज़ में इज़ाफ़ा शूदा अख़राजात के इस्तेमाल के बारे में शऊर बेदार किया जाए।

वज़ारत-ए-सेहत इस मक़सद के हुसूल के लिए आलमी हिफ़्ज़ान-ए-सेहत से इश्तिराक कर रही है। ये भी फ़ैसला किया गया कि वज़ारत-ए-सेहत एक मर्कज़ी ख़रीदारी महकमा क़ायम करेगी। ये महकमा जल्द से जल्द क़ायम किया जाएगा ताकि अवामी निज़ाम सेहत के लिए अदविया क़ौमी, देही रोज़गार तमानीयत स्कीम के तहत ख़रीदी जाएं और म्यारी ईलाज और तहफ़्फ़ुज़ सेहत का एक निज़ाम क़ायम किया जाए।

काबीना पहले ही ख़रीदारी महकमा की मंज़ूरी दे चुकी है। इजलास में खासतौर पर क़ौमी कमीशन बराए मैक्रो कामप्लेकस और सेहत की सिफ़ारिशात पर अमल आवरी के लिए ज़ोर दिया गया और सेहत की सतह के माहिरीन ग्रुप की सिफ़ारिशात के मुताबिक़ मंसूबा बंदी कमीशन मुख़्तलिफ़ इक़दामात करेगा, जिनमें अहम क़वानीन जल्द ही पार्लीमेंट में पेश किए जाऐंगे।

वज़ारत-ए-सेहत से ख़ाहिश की गई है कि वो एक वाज़िह लायेहा-ए-अमल तैयार करे ताकि एन आर एच एम की तमाम स्कीमों को एक ही इदारा के तहत लाया जा सके। इस इंज़िमाम का आग़ाज़ मुम्किन है कि आइन्दा मालीयाती साल के दौरान होगा और इसके तरीका-ए-कार की तकमील 2013 14 तक कर दी जाएगी। मुख़्तलिफ़ इल्ज़ामात जिनका एक इजलास में फ़ैसला किया गया इनमें वज़ारत-ए-सेहत से ख़ाहिश की गई कि वो खासतौर पर बुनियादी सेहत मराकज़ के इस्तेहकाम, कम्यूनिटी सेहत मराकज़ और ज़िलई हॉस्पिटल्स पर तवज्जा मर्कूज़ करे ताकि ग़रीबों को सेहत की देख भाल में मदद मिल सके।

किसी रुकावट के बगै़र आउट पेशेंट, इन पेशेंट और तशख़ीसी मराकज़ क़ायम किए जाएं, जहां ज़रूरी अदविया की सरबराही का भी इंतिज़ाम हो। एम्बूलेन्स ख़िदमात को मुस्तहकम किया जाएगा ताकि सेहत ख़िदमात दूरदराज़ इलाक़ों तक भी जहां रसाई मुश्किल है, दस्तयाब हो सकें।

ये भी फ़ैसला किया गया कि क़ौमी मर्कज़ बराए इंसेदाद अमराज़ की तकमील अंदरून दो साल कर दी जाय और मुत्तहदा निगरान अमराज़ प्रोजेक्ट को अवामी सेहत लेबारेट्रीज़ अज़ला और रियास्तों में क़ायम करते हुए कारकर्द बनाया जाए। वज़ारत-ए-सेहत से ख़ाहिश की गई है कि निज़ाम बराए इन्सेदाद-ए-मनश्शियात को भी मुस्तहकम बनाया जाए, क्योंकि उसे अदविया और हुस्न अफ़ज़ा-ए-मसनूआत (तरमीमी) बिल के तहत अपना काम अंजाम देना होगा, जो अन्क़रीब पार्लीमेंट में पेश किया जाएगा।

अमराज़ पर क़ाबू पाने और अच्छी सेहत को फ़रोग़ देने के लिए वज़ारत-ए-सेहत से ये भी ख़ाहिश की गई है कि वो महकमों के साथ जिनका ताल्लुक़ समाजी हिफ़्ज़ान-ए-सेहत जैसे तग़ज़िया, महफ़ूज़ पीने का पानी, सफ़ाई और तालीम से है। क़रीबी तआवुन करे।