अखिलेश की हुकूमत को कोर्ट की फटकार

लखनऊ, २४ नवंबर: असेंबली इलेक्शन के बाद इक्तेदार में आई अखिलेश यादव की हुकूमत को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। अखिलेश सरकार ने 2006 में हुए वाराणसी ब्लास्ट के दहशतगर्द मुल्जिमों की रिहाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की पनाह ली थी।

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस आरएसआर मौर्य की ब‍ंच ने कहा, ‘आज आप दहशतगर्द को रिहा कर रहे हैं, कल आप उन्हें ‘पद्म भूषण’ भी दे सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि कौन दहशतगर्द है, कौन नहीं, यह फैसला अदालत करेगी, हुकूमत नहीं।’ बंच ने हुकूमत से पूछा कि आखिर किस बुनियाद पर मुलज्मीन से केस वापस लिए जा रहे हैं?

ब्लास्ट के मुल्ज़मीन की रिहाई की हुकूमत की कवायद के खिलाफ सामाजी कारकुन राकेश श्रीवास्तव और वकील नित्यानंद चौबे ने दरखास्त दाखिल की थी। बंच ने रीयासती हुकूमत से यह भी पूछा क्या उनका यह कदम दहशतगर्द को बढ़ावा नहीं देगा और क्या दहशतगर्दों की रिहाई के इस कदम से मुल्जिमो और दहशतगर्दी की दूसरी वारदात करने के लिए हौसला नहीं बढ़ेगा?

दरखास्त में 7 मार्च 2006 को वाराणसी के संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेघ घाट और कैंट स्टेशन पर हुए धमाके के मुल्जिमो पर से केस वापस लेने की अखिलेश सरकार की कवायद को चुनौती दी गई है।

रीयासती हुकूमत ने 31 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी की थी, जिसमें ब्लास्ट के मुल्ज़िमो पर से केस वापस लेने की बात कही गई। दर्खास्तगुजारो के वकील ए के गुप्ता और शिव शंकर त्रिपाठी ने कहा कि हाई कोर्ट ने मुल्ज़िमों पर से केस वापस लेने पर काफी शदीद रुख इख्तेयार किया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की दफा 302, 307, 323, 427 और 120 बी के तहत गिरफ्तार हुए मुल्जिमो की रिहाई से दहशतगर्दी को बढ़ावा मिलेगा?